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भरोसा की सरकार को हिलाकर खिलाया कमल- हक तो बनता है- सीएम कौन?

हरिपथरायपुर– 4 दिसम्बर छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बननी तय हो गई है। भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। इसी के साथ अब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा भी प्रारंभ हो गई है। भाजपा में मुख्यमंत्री के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ प्रदेशाध्यक्ष और लोरमी से चुनाव जीतने वाले अरुण साव सहित आधा दर्जन से ज्यादा नाम हैं। जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़े और सफलता भी ऐतहासिक रहा तो हक तो अरुण साव का बनता है।

अरुण साव

हक के साथ मजबूत दावेदारी– मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव की बड़ी दावेदारी है। आखिर रहे क्यो ना जहाँ गए वही सफलता मिली है। प्रचंड जीत के साथ पुरे प्रदेश में भरोसे की सरकार को हिलाकर कमल का खिलाना बड़ी उपलब्धी है। ज्ञात हो कि 2003 में जिस तरह से डा. रमन सिंह को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी थी और चुनाव जीतने पर उनको मुख्यमंत्री बनाया गया, उसी तरह से इस बार अरुण साव को जिम्मेदारी मिली और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया जिसमें भाजपा को बड़ी जीत के साथ सफलता मिली है। खुद अरुण साव को भी बड़ी जीत मिली है। इसी के साथ श्री साव ओबीसी है। भाजपा ओबीसी पर बड़ा दांव खेल रही है। ऐसे में उनको भी मुख्यमंत्री की कमान सौंपी जा सकती है।

परम्परा रहा-रमन के सामने बड़ी चुनौती प्रदेश में जब पहली बार 2003 में भाजपा की- सरकार बनी थी, तब डॉ. रमन सिंह के सामने ज्यादा चुनौती नहीं थी, दो ही नाम और थे, जिनको मुख्यमंत्री का दावेदार माना गया था। इनमें पहला और दमदार नाम दिलीप सिंह जूदेव का था। दूसरे दावेदार रमेश बैस थे। कमान डा. रमन सिंह को मिली। 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब पांच साल के बाद जब एक बार फिर से डॉ. रमन दावेदार हैं, तो उनके सामने इस बार आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं।

विष्णुदेव साय, रामविचार नेताम और रेणुका सिंह ,ओपी चौधरी की भी चर्चा, सामान्य वर्ग से सरोज पांडेय भी दौड़ में

साय-नेताम दो आदिवासी चेहरे-पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय एक बड़ा आदिवासी चेहरा है। श्री साय को जो भी जिम्मेदारी मिली है उन्होंने शालीनता से निमाई है। अब उनको कुनकुरीकी जनता से छोटी नहीं,बल्कि बड़ी 25 हजार से ज्यादा मतों से जीत दिला दी है। ऐसे में उनकी भी मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी है। एक और बड़े आदिवासी नेता पूर्व राज्यसमा सांसद और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री रामविचार नेताम का नाम भी दावेदारों में हैं। उनके नाम पर भी मुहर लग सकती है। उनको भी 29 हजार से ज्यादा मतों से बड़ी जीत मिली है।

रेणुका-गोमती भी दौड़ में भाजपा की दो सांसद केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और गोमती साय को भी चुनाव लड़ाया गया।दोनों को चुनाव में जीत मिल गई है। रेणुकासिंह को तो ठीक-ठाकजीत मिली है,लेकिन गोमती साय की जीत बड़ी नहीं है।

वह दो सौ से ज्यादा वोटों से ही जीत सकी है। लेकिन इसके बाद भी अगर भाजपा किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करेगी तो इनमें से किसी एक को मौका मिल सकता है। परिणाम के एक दिन पहले ही इन दोनों सांसदों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात भी की है।

चौधरी भी दावेदार-पूर्व आईएएस ओपी चौधरी पर केंद्रीय नेतृत्व बहुत मेहरबान है। अमित शाह ने रायगढ़ की सभा में कहा था, आप ओपी चौधरी को जीत दिलाएं, इनको बड़ा सामान्य वर्ग से सरोज पांडेय भी भाजपा में डा. रमन, साव समेत आधा दर्जन से ज्यादा सीएम पद के दावेदार वैसे तो सरोज पांडेय ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। लेकिन वे लगातार भारतीय जनता पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी निभाती रहीं है। केंद्रीय संगठन में कई अहम जिम्मेदारियों का निर्वाह किया है। माना जा रहा है कि संगठन उनके नाम परआदमी बनाने की जिम्मेदारी मेरी। रायगढ़ की जनता ने श्री शाह की बात मानते हुए श्री चौधरी को 60 हजार से ज्यादा मतों से जीत दिला दी और श्री शाह को संदेश दिया है कि अब आप अपना वादा पूरा करें और श्री चौधरी को बड़ा आदमी बनाएं। श्री चौधरी को मी भाजपा मुख्यमंत्री बना सकती है।

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