क्राईम /पुलिसजिला सत्र न्यायालयन्यूजमुंगेली/लोरमी

महिला से छेड़छाड़ अपमानित : करने वाले आरोपी को न्ययालय ने अर्थदण्ड के साथ दो वर्ष का सुनाया सश्रम कारावास की सजा..

हरिपथ:मुंगेली/लोरमी-महिला से छेड़छाड़ और अनुसूचित जनजाति की सदस्या को अपमानित करने वाले आरोपी बनशु उर्फ बनस यादव को न्यायालय ने सुनाया दो-दो वर्ष का सश्रम कारावास और ₹2000- 2000 के अर्थदंड दण्डित किया गया। महिला को अपमानित करने की नियत से बिना सहमति के छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को पुलिस विवेचना मे मजबूत साक्ष्य पेश करने, पीड़िता, गवाहों के आधार पर न्यायालय ने दण्डित करने का फैसला आया है।

दिनांक 25.09.2025 को छेड़छाड़ व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) (ब), 3 (2) (क) के आरोपी बनशु उर्फ बनस यादव को दो-दो वर्ष का सश्रम कारावास और ₹2000- 2000 के अर्थदंड से सत्र न्यायालय मुंगेली ने  दण्डित किया है।
मिली जानकारी के अनुसार मामला चौकी खुड़िया थाना लोरमी के अपराध क्रमांक 101/23 से संबंधित है। आरोपी ने प्रार्थिया/पीड़िता (शिकायतकर्ता) को अनुसूचित जनजाति की सदस्या जानते हुए, उसे अपमानित करने की नीयत से छेड़छाड़ की थी। महिला/पीड़िता को आरोपी के द्वारा गलत नियत से हाथ और बांह को पकड़ा और स्पर्श किया था। जिस पर पुलिस अनुविभागीय अधिकारी नवनीत पाटिल के द्वारा उत्कृष्ट विवेचना कर मजबूत सबुत (दस्तावेज), साक्ष्य एकत्रित कर चालान माननीय न्यायालय पेश कर पीड़िता, गवाहों तथा पुलिस विवेचना साक्ष्यों के आधार तथा मामले को संदेह से परे प्रमाणित पाए जाने से  न्यायालय के द्वारा आरोपी बनशु उर्फ बनस यादव को सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक मुंगेली रजनीकांत सिंह ठाकुर के द्वारा पैरवी की। आरोपी बनशु उर्फ बनस यादव पुर्व से ही मुंगेली जेल मे निरूद्ध है।

यह फैसला दिनांक 25.09.2025 को करने पर सत्र न्यायाधीश मुंगेली पीठासीन गिरिजा देवी मेरावी ने महिला से छेड़छाड़ और अनुसूचित जनजाति की सदस्या को अपमानित करने के प्रकरण मे आरोपी बनशु उर्फ बनस यादव (उम्र 38 वर्ष), पिता जगत राम यादव, निवासी ग्राम लमनी, चौकी खुड़िया, थाना लोरमी को भारतीय दंड विधान की धारा 354 (छेड़छाड़) के तहत आरोप में 02 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से एवं 2000 (दो हजार) रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया । अर्थदण्ड की व्यतिक्रम पर 06 माह का अतिरिक्त कारावास भुगताई जावे। आरोपी को अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) (ब), 3 (2) (क) के दोनों आरोप में क्रमशः 02-02 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से एवं 2000-2000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। अर्थदण्ड की व्यतिक्रम पर 06-06 माह के अतिरिक्त कारावास से दंडित किया गया।

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