मुंगेली/लोरमी

झुंड से बिछड़कर खाने पीने की तलाश में जंगल से भटककर एक नर चीतल बिजराकछार गौठान के पीछे  घायल अवस्था मे मिला , वनविभाग ने उपचार के बाद कानन पेंडारी में छोड़ा….

 हरिपथ ||लोरमी|| 2 मई ग्राम बिजराकछार में गौठान के पीछे  वनविभाग की टीम ने नर चीतल  जंगली जानवर को पकड़ा है। आवारा कुत्तों ने चीतल का पीछे करते हुये घायल कर दिया था।  वन विभाग तत्तपरता और सतर्कता से घायल को प्राथमिकी उपचार के लिये नगर लाया गया। वन विभाग ने घायल चीतल को उपचार के बाद कानन पेंडारी छोड़ा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2 मई खुड़िया वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम बिजराकछार के कक्ष क्रमांक 475 के पास गौठान के पीछे   सुबह 9 बजे  एक नर चीतल घायल अवस्था मे ग्रामीणों ने देखा। बताया जा  जंगली जानवर के पीछे कुछ आवारा कुत्ते पीछे लगे थे। पैदल गार्ड  ने तत्काल वनविभाग के  उच्चधिकारियो को सूचित किया। मौके पर वनविभाग के टीम आधे घण्टे में पहुँचकर पकड़ने की जुगत में जुट गये। बताया जा रहा है,नर चीतल पूर्ण वयस्क है। कुत्तों ने चीतल के पैर शरीर मे काटने व नाखून से नोचने के निशान है? गौठान के पीछे आवारा कुत्तों की भौकने की आवाज सुनकर वनविभाग के कर्मचारियों ने तत्काल मौके पर पहुँचकर सहमे हुये चीतल को तत्काल लोरमी पशु औषधालय भेज कर प्राथमिकी उपचार के लिये वाहन से भेजा। डॉक्टर ने उपचार के बाद वन विभाग ने कानन पेंडारी में छोड़ने का फैसला लिया।  कारण वनविभाग के कर्मचारियों की सूझबूझ व सावधानी बरतने के कारण चीतल की जान बचाने में सफलता मिली। बताया जा रहा है, चीतल सवेंदनशील जंगली प्राणी होने के कारण मौके से चीतल को शिफ्ट करने कर्मचारियों लगे रहें।

घायल चीतल

चीतल के पीछे टांग में व गर्दन के पास खरोच के निशान है। जिसमें खुन बह रहा था,जिसे कर्मचारियों ने कपड़े से बांधकर तत्कालीक उपचार किये।  गौरतलब है,की ग्राम बिजराकछार सामान्य वन क्षेत्र आता है ? इसके बाद एटीआर का बफर जोन प्रारंभ होता है, जहाँ अक्सर  भीषण गर्मी एवं पेयजल की कमी के कारण जंगली जानवर खाने पीने के लिये  इन दिनों अक्सर जंगल क्षेत्र से सटा हुआ, गाँव रहवासी क्षेत्र में भटककर आ जाते है। फिलहाल इस भटके हुए नर चीतल को वनविभाग के टीम की ततपरता से बचाने में कामयाब हो गयी।

  रेंज अफसर  एलडी पात्रे ने बताया कि चीतल को बचाने के लिये बिजराकछार से खुड़िया और फिर लोरमी पशु चिकित्सक के पास भेजा गया जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद कानन पेंडारी शिफ्ट किया गया।  वनविभाग की टीम ने चीतल को वाहन में सुरक्षित भरकर ले गये।

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