◆एटीआर में बढ़ाई जाएगी बाघों की संख्या , नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने प्रस्ताव को दी है मंजूरी, कान्हा से लाई जाएगी●●
हरिपथ–लोरमी– 28 सितंबर अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के अन्य टाइगर रिजर्व से बाघिन लाने की योजना बनाई गई है। एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और दिसंबर तक एटीआर की एक टीम कान्हा जाकर दो बाघिन लाने की योजना बना रही है।
ग्लोबल टाइगर फोरम ने किया समर्थन-अचानकमार टाइगर रिजर्व में कुल 1000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जंगल में मौजूदा बाघों की संख्या 10 है, जिसमें 3 मेल और 7 फिमेल शामिल हैं। यह संख्या अन्य टाइगर रिजर्व की
बाघों के लिए अनुकूल है एटीआर-एटीआर की सीमा मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से सटी हुई है, और यहां बाघों के लिए अनुकूल आवास और आहार की व्यवस्था की गई है। बाघों के शिकार के लिए पर्याप्त शाकाहारी वन्यप्राणी मौजूद हैं, और बाघों के लिए खानपान की समस्या भी हल की जाएगी। इसके लिए चीतलों की शिफ्टिंग का काम रायपुर के जंगल सफारी और कानन पेंडारी जू से किया जा रहा है, ताकि बाघों को पर्याप्त आहार मिल सके।
लगातार घट रही है बाघों की संख्या- 2010 में एटीआर को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, और तब से बाघों की संख्या लगातार घट रही है। वर्ष 2009 में यहां बाघों की संख्या 27 थी, जो 2010 में घटकर 18 और 2011 में 12 हो गई। वर्तमान में कैमरों के माध्यम से 10 बाघ देखे गए हैं। बाघों की संख्या में वृद्धि करने के लिए एनटीसीए ने 1 मेल और 2 फिमेल टाइगर लाने की अनुमति दी है, हालांकि एटीआर में फिलहाल केवल बाघिन लाने की योजना है।
तुलना में काफी कम है। एटीआर प्रबंधन ने बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कान्हा और महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्व से बाघ और बाघिन लाने की मांग की थी। इस योजना के लिए राज्य सरकार ने भी प्रस्ताव भेजा था और ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा इसका समर्थन प्राप्त हुआ था।
एटीआर में लाया जाएगा फिमेल टाइगर– एनटीसीए से 1 मेल और 2 फिमेल टाइगर लाने की अनुमति मिल चुकी है, लेकिन एटीआर में केवल फिमेल टाइगर ही लाए जाएंगे। इसके लिए विशेषज्ञों का मानना है, कि टाइग्रेस के रहने से टाइगरों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती है। दूसरे टाइगर रिजर्व के टाइगर भी मेटिंग के लिए टाइग्रेस के पास आते हैं। टाइग्रेस लाने से पहले विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। यह कार्य मानसून के बाद होगा, जिसमें एक टीम अध्ययन प्रवास पर जाएगी। इसके उपरांत प्लान और बजट की मांग कर दिसम्बर तक टाइग्रेस लाने की संभावना है।