पनिका /पनका समाज ने प्रदेश के 33 जिलों में पीएम,सीएम के नाम जिला कलेक्टर को सौपे ज्ञापन , 52 वर्षो से संघर्ष आदिवासी वर्ग में पुनः बहाली की मांग…

हरिपथ ● रायपुर/लोरमी– 12 सितंबर छत्तीसगढ़ प्रदेश पनिका /पनका संगठन के आह्वान पर प्रदेश के सभी 33 जिलों में सभी जिला कलेक्टर के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के नाम 52 वर्षो से जारी संघर्ष आदिवासी में पुनः बहाली के नाम पर ज्ञापन स्थानीय एसडीएम को सौपा गया।
छत्तीसगढ़ राज्य अविभाजित मध्य प्रदेश में सम्मिलित रहा है मध्य प्रदेश में पनिका/पनका जाति अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्तमान में भी है चुकी पूर्व में 8 दिसंबर 1971 के पहले पनिका समाज आदिवासी में रहा है परंतु बिना कारण से मध्य प्रदेश के 8 जिलों को छोड़कर बाकी सभी जगह पनिका जाति को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में लाकर रख दिया गया है। इस विसंगति के कारण आरक्षित जिले की हमारी बेटी शादी होकर अन्य जिलों में जाती है तो उसकी जाति प्रमाण पत्र वहां प्रभावहीन हो जाता है तथा अनारक्षित जिले की हमारी बेटी शादी होकर आदिवासी परिवार में जाती है परंतु वहां उसे भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है।जबकि सरकार बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ की नारे लगाती है
शासन के इस सौतेला व्यवहार के कारण संपूर्ण छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश की पनिका समाज काफ़ी क्षुब्ध और आक्रोषित है।

पनिका सामाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष वंशधारी सांवरा ने कहा कि आज तक हमारा समाज राजनीतिक शोषण का शिकार होता रहा। सभी राजनीतिक पार्टियों हमारा उपयोग करते रहे हैं,परंतु अब पनिका /पनका समाज जागृत और संगठित होकर अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में पुनः बहाल होने के लिए लगातार आवाज उठा रहा है,यदि वर्तमान मध्य प्रदेश/ छत्तीसगढ़ की सरकार समय रहते ध्यान नहीं दिया तो इसका असर वर्तमान विधानसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला है।

वही देखा जाये तो भारत के संविधान के आर्टिकल नंबर 14 में दिए गए नियम के मुताबिक किसी एक ही राज्य में स्थित एक ही जाति वर्ग समुदाय(पनिका /पनका जाति ) को अलग-अलग वर्गों में बांट कर रखना यह भारत के संविधान का उल्लंघन है! इस व्यवस्था को ठीक करने का अधिकार भारत सरकार को है।
जब कोई राज्य सरकार किसी जाति को उनके मौलिक अधिकार दिलाने के लिए अनुशंसा सहित विधानसभा में संकल्प पारित कर भेज दिया है। जिसे भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है, की 52 वर्षो से इस मामले के लिए संघर्ष कर रहे समाज के गरीब,शोषित,असहाय लोगों को उनके समानता का अधिकार दिलाया जाए।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित अशासकीय संकल्प (सर्व दलिय सम्मति से) दिनांक 3 मार्च 2023 को पारित हो चुका है परंतु अभी तक उसमें आगे की कार्यवाही नहीं हो पाई है सरकार के इस ढुलमुल रवैया को देखते हुए छत्तीसगढ़ के समस्त पनिका /पनका जाति के लोगों के द्वारा आज अपने 8 दिसंबर 1971 के पूर्व की तरह अनुसूचित जनजाति (ST) मे पुनः बहाली को लेकर छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में रैली निकालकर ज्ञापन सौपा गया।

इस अवसर पर थानू राम बघेल साकत पनिका समाज (प्रदेश सचिव एवं मुंगेली जिला अध्यक्ष ) सविता बघेल,पोकल साकत, गया राम,इतलेश साकत,विजय साकत, महेश साकत,महेशी साकत, संजय साकत, अखेचंद साकत, रोशन, कुलेश्वर साकत, जगत,उत्तम, गुनूराम,जवाहर,नेतराम,शिवकुमार,भागवत साकत,श्यामजी, सुरेश सोनवानी,गणेश सोनवानी,राधेलाल, बिष्णु साकत,रामकृपालदीप प्रकाश , कीर्तन साकत,देशी साकत, निकला साकत हरदेव साकत सुनील साकत,बिहारी साकत,नरेन्द्र, मुकेश सहित अन्य उपस्थित रहें।