शुभ मुहूर्त ■ पूजा का शुभ मुहूर्तः शाम 05:44 से रात 07:02 तक। चतुर्थी तिथि का समापन 1 नवंबर रात 09:19
हरिपथ न्यूज लोरमी– 1 नवम्बर करवाचौथ के लिए विवाहितों ने तैयारियां शुरू कर दीं हैं। पूजा सहित अन्य सामग्रियों की खरीददारी की जा रही है। पूजा के पहले श्रृंगार के लिए ब्यूटी पार्लर में वेटिंग चल रही है। चंद्रोदय पश्चात सोलह श्रृंगार कर चंद्रदेव की पूजा- अर्चना कर पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ेंगी।
वैवाहिक जीवन सुखमय और पति की आयु लंबी होती है।चंद्रोदय- रात्रि 8.17 बजे से मृगशिरा नक्षत्र, बुधादित्य योग के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग करवा चौथ पर 100 सालों बाद अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है।
करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को शुभ योगों में रखा जाएगा। करवा चौथ 2023 के व्रत की अवधि 13 घंटे 42 मिनट रहने वाली है। सर्योदय के साथ सुबह 6 बजकर 33 मिनट से व्रत का आरंभ होगा, जो रात 8 बजकर 17 मिनट के आस- पास चंद्रोदय पूजन के बाद समाप्त होगा।
त्रियोग से आएगी पति-पत्नी में मधुरता -ज्योतिषाचार्य पं. दत्तात्रेय होस्केरे ने कहा कि करवा चौथ पर इस वर्ष त्रियोग पड़ रही है। त्रियोग में अमृत योग, शिव योग और सर्वार्थसिद्धि योग की युति बन रही है, जो पति-पत्नी के मधुर संबंध और पति के दीर्घायु के लिए अत्यंत शुभ है।
परंपरा का निवर्हन : हेमलता खत्री का कहना है कि वे राजस्थान से विवाह होकर यहां आई। राजस्थान में रीति- रिवाज को लेकर बेहद संजीदा रहना पड़ता है। इस वैदिक परंपरा के निर्वहन के लिए करवाचौथ पर संध्याकाल तक व्रत रखकर पूजा अर्चना करती हूँ।
पहले से करते हैं तैयारी : आशा अग्रवाल ने कहा कि करवाचौथ के लिए वे काफी पहले से तैयारी करती हैं। सोलह श्रृंगार के साथ पूजा- अर्चना करती है। व्रत के दौरान वे सभी नियमों का पालन करती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। बाजार में जमकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
कथा श्रवण जरूरी साक्षि सलुजा का कहना है कि परिवार की सभी सुहागिन महिलाएं विधि-विधान से करवा माता की कथा सुनती हैं। इसके बाद पति की उपस्थिति में पूजा करते हैं। पति की दीघायु की कामना के साथ व्रत तोड़ा जाता है।
श्रृंगार का विशेष महत्वः श्वेता केशरवानी का कहना है कि करवाचौथ व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। चंद्रदेव की पूजा- आराधना सुहागिन
गायत्री खत्री महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। चलनी से चाद को देखकर कर व्रत तोड़ा जाता है। सामानों में जहां कलाकारी बढ़ी है, वहीं तैयारी भी करते है।श्रृंगार में भी महिलाएं बहुत खर्च कर रहीं हैं।
पति के लिए व्रत: निक्की सलुजा का कहना है कि पति की दीर्घायु की कामना को लेकर व्रत रखा जाता है। सिख समुदाय की समस्त सुहागिन महिलाएं गुरुद्वारा में पहले मत्था टेकती हैं। उसके बाद एकसाथ चंद्र देवता की पूजा की जाती है। सामूहिक रूप से करतीं है। पूजा
पूजा गुप्ता, आशा अग्रवाल, श्वेता पाठक, स्नेहलता श्रीवास, प्रेमा अग्रवाल, प्रिती सलूजा, एकता केशरवानी, ममता अग्रवाल का कहना है कि करवाचौथ पर कई परिवार की सुहागिन महिलाएं एकसाथ मिलकर पूजा करती हैं। एकसाथ पूजा- अर्चना करने के कारण उत्सव सा माहौल रहता है।