अंधविश्वास का राजफाश: करने गुनिया बन गांव में रहा प्रधान आरक्षक….एसपी की सुपर पुलिसिंग ने लाली के कातिलों तक पहुँचाया…

हरिपथ–मुंगेली/लोरमी– ग्राम कोसाबाड़ी में 106 दिन पूर्व एक 7 सात वर्षीय बच्ची की अपहरण कर मासूम का पैसा के लालच में झरन साधना के लिये बेरहमी से हत्या कर दिया। यह मामला पूरे जिला के साथ छत्तीसगढ़ में चर्चित रहा। पुलिस ने चुनौती को किस तरह सफलता तक पहुँचाया। जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की नेतृत्व क्षमता ने सुपर पुलिसिंग से मामले में सफलता दिलाई। मामले में राजफाश किया…


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार 11 अप्रैल की मनहूस रात लोरमी थाना क्षेत्र के ग्राम कोसाबाड़ी से 7 साल की बच्ची महेश्वरी गोस्वामी (लाली) गायब हो गई। दूसरे दिन दोपहर करीब 1 बजे लाली की मां पुष्पा गोस्वामी और भाभी ऋतु गोस्वामी लोरमी थाना पहुंचे। दोनों ने बच्ची के गुम होने की शिकायत दर्ज कराई। चूंकि ये बच्ची के मिसिंग का मामला था, इसलिए एसपी भोजराम पटेल टीम के साथ 4 बजे लोरमी पहुंच गये। प्रारंभिक चरण में ही पुलिस ने पाया कि मां पुष्पा से ज्यादा बातचीत ऋतु कर रही थी। बिना किसी देरी के स्पॉट पर पहुंचे। लाली का घर देखा, आसपास के लोगों से बात की। इसी बीच एक बच्ची मिली, जिसने बताया कि रात 1 बजे मैंने किसी की परछाई देखी, उसके साथ बच्ची भी थी। इसके बाद पुलिस आसपास के इलाकों में सर्च की। 10 दिनों कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार प्रशासन की मदद से गांव के सभी गढ़डों (खाद, पैरा या गंदगी) को खोदा गया। फिर भी सफलता नहीं मिली।

प्रशासन की मदद ली और 21 अप्रैल को एसडीएम मेनका प्रधान, एसडीएम अजीत पुजारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, तहसीलदार के साथ मिलकर महिला पटवारियों की एक टीम बनाई गई। यह टीम एनजीओ के सदस्य बनकर गांव के सभी घरों में गई। इस प्रक्रिया में 15 दिन बीत गए। आखिरकार हमने टीआई हरविंदर सिंह (वर्तमान में डीएसपी) को टीम में शामिल किया। जिसमें पता चल गया था कि जो भी लीड मिलेगी, गांव से ही मिलेगी। टीम को तीन भागों में बांटा। एक टीम बाहर रहती, दूसरी सेकंड लेयर में थी। भीतरी लेयर, मतलब गांव में किसी को भेजने के लिए बातचीत किए रह सके।

हेडकांस्टेबल बना गुनिया-मामले में ऐसा व्यक्ति चाहिए था, जो उनकी तरह दिखे और अपने परिवार से कई दिनों तक बिना ऐसे में हेड कॉस्टेबल मुंगेली लोकेश राजपूत का नाम सामने आया। उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, रंग सांवला था, जो पूरी तरह से गांव के लोगों के बीच शामिल हो सकता था। आखिरकार लोकेश गांव में बैगा बनकर सप्ताहभर रहा। ग्रामीणों से मांगकर खाता था। किसी भी घर के बाहर सो जाता था। गांव वालों को विश्वास हो गया था कि पुलिस अब गांव नहीं आएगी। आखिर 5 मई की रात लोकेश ने कुछ लोगों को बात करते हुए सुना कि इन को सजा मिलनी चाहिए, इन्होंने गलत काम किया है। लोकेश ने ये बात टीम को बताई। अब पता चल गया था कि बच्ची जीवित लोगों में नहीं है।

पुख्ता सुराग मिला– 6 मई की सुबह सर्च ऑपरेशन शुरू किया। श्मशान से कुछ दूर एक पसली मिली। चूंकि दो दिन पहले ही बारिश हुई थी और आसपास की मिट्टी भुरभुरी थी, ऐसे में जल्द ही में खेत के मेढ़ में बच्ची के बाल, हाथ की हड्डी, और 200 मीटर दूर खोपड़ी मिली। तत्काल पूरे छत्तीसगढ़ से मिसिंग रिपोर्ट खंगाली। आसपास के गांवों से पता किया कि किसी बच्चे की मौत तो नहीं हुई है। पुलिस को क्लियर हो गया कि यह लाली ही है। फॉरेंसिक टीम ने डीएनए सैंपल से पुष्टि की। फिर संदिग्धों की पॉलीग्राफी टेस्ट, नार्को टेस्ट, बेन मैपिंग की। इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ महीने लगे। रिपोर्ट आई और ये साबित हो गया कि इन्होंने ही लाली की हत्या की है। आखिर हत्या के 106 दिन बाद लाली के पांच कातिलों को गिरफ्तार किया गया। इनकी निशानदेही पर चाकू जब्त किया गया, बच्ची के कपड़े भी बरामद कर लिए गए। पुलिस के पास इन्हें सजा दिलाने के लिए सभी सबूत हैं।

हत्या की वजह भी जाननी थी-पूछताछ में सबसे पहले रामरतन निषाद टूटा। धीरे-धीरे सभी टूट गए और घटना के बारे में बताया। ऋतु, पति चिम्मन गोस्वामी को लाली चाहिए थी। उसने डेढ़ महीने पहले पुष्पा से कहा था कि लाली को दे दो पूजा करनी है। पर पुष्पा से मना कर दिया था। 11 अप्रैल को पूर्णिमा थी। गांव में बारात आई थी, इसलिए ऋतु ने इस दिन का प्लान बनाया। नरेंद्र मार्को बच्ची को घर से लेकर गया, क्योंकि वह पूर्व परिचित था। पास ही श्मशान है, जहां लाली के कपड़े बदले गए। आगे ले जाकर रामरतन ने झरन के लिए तंत्र-मंत्र शुरू किया। चाकू से लाली की हत्या की। इन लोगों का मानना था कि इससे खूब पैसा बरसेगा। हत्या के लिए ऐसी जगह को चुना, जहां नाली थी, जिससे खून बह गया। वहीं बारिश के चलते आसपास के सभी निशान मिट गए। ऐसे में दूसरे दिन डॉग खोज नहीं पाया।

शुरुआत से ही प्राइम सस्पेक्ट के रूप में ऋतु गोस्वामी – पुलिस की राडार पर थी। जब पुलिस ने उसे – पूछताछ के लिए थाने में बिठाया तो – उसके भाई रामेश्वर पुरी गोस्वामी ने एक वीडियो डालकर लोगों को दिग्भ्रमित किया कि पीड़ित को ही पुलिस परेशान कर रही है। लोगों का दबाव पुलिस पर बनता गया। इसी बीच न्याय यात्रा निकाली गई। वहीं कलेक्टोरेट घेराव की चेतावनी दी गई। इस तरह से मामले में खलल डालने के लिए पुलिस पर कई आरोप लगे, लेकिन पुलिस की टीम सही दिशा में काम करती रही और आखिकार इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पॉलीग्राफ टेस्ट एवं ब्रेन मैपिंग,नार्को परीक्षण के संकेतो ने पुलिस को आसानी से मामले सफलता दिलाया।

पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के मार्गदर्शन पर अति. पुलिस अधीक्षक नवनीत कौर छाबड़ा एवं उप पुलिस अधीक्षक नवनीत पाटिल के नेतृत्व में गठित पुलिस विशेष टीम के द्वारा प्रकरण की अग्रिम विवेचना कार्यवाही किया गया। उक्त कार्यवाही में उपनिरी. सुशील कुमार बंछोर सायबर सेल प्रभारी, उपनिरी. सतेन्द्रपुरी गोस्वामी तत्कालिन थाना प्रभारी अखिलेश वैष्णव, उपनिरी सुन्दरलाल गोरले, उपनिरी. नंदलाल पैकरा, निर्मल घोष, राजकुमारी यादव, साइबर सेल से लोकेश राजपूत, नरेश यादव, बाली ध्रुव आर. भेषज पाण्डेकर, गिरीराज, हेमसिंह, रवि मिंज, नागेश साहू दुर्गा यादव एवं साइबर सेल तथा स्थानीय पुलिस की भूमिका रही।