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जान की परवाह किये बिना वनाचंल में स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचा रही “स्वास्थ्य योद्धा” लता दर्रो..

हरिपथलोरमी-(विशेष खबर) खुड़िया क्षेत्र में महिला पर्यवेक्षक लता दर्रों एक मानव सेवा का पर्याय बन चुकी है। पूरी वनाचंल क्षेत्र में 100 किमी स्क्वेयर से फैले घने जंगलों में अपनी पूरी जीवन स्वाथ्य के लिए 25 वर्ष समर्पित कर अविवाहित रहने वाली वनांचल क्षेत्र में  लता दीदी के नाम से मशहूर है। सीएम,डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री ने “स्वाथ्य योद्धा”  के नाम से स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किए।

लता दर्रो मूलतः कांकेर जिले के दुर्ग कोंदल की रहने वाली लता 25 वर्ष पहले स्वास्थ्य विभाग में महिला बहु उद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में सुदूर  घने जंगल के बीच स्थित ग्राम सुरही उप स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थापना हुई थी। तात्कालीन समय में अचानकमार क्षेत्र के बैगा आदिवासी में स्वास्थ्य की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। इस बात को देखते हुये  युवावस्था  में ही उसने खुड़िया के घने जंगलों में रहने वाले बैगा आदिवासीयों की सेवा को अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बनाया । जब भी उसे यह पता चलता कि  घने जंगलो के बीच बसे किसी गांव में कोई बीमार है या किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा है तो वह अकेले ही  पैदल या फिर अपनी साइकल से निकल पड़ती थी।

बरसात के दिनों में भारी बारिश में भी नदी नालो की परवाह किये बगैर वह मिलों तक चली जाती थी । उस दौर में 102 ,108  एम्बुलेसं जैसी सेवा भी चालू नही हुई थी। आज के दौर में भी खुड़िया क्षेत्र के पहाड़ी इलाको के दूरस्थ गांवों में भी वाहन से पहुंचना आसान नहीं है, और अब भी वाहन चालक उस जंगल में वाहन चलाने से बचना चाहते हैं।

समर्पण ने दिलाया उपलब्धि-लता ने अपने पूर्व पदस्थापना स्थल उप स्वास्थ्य केन्द्र सुरही क्षेत्र एवं खुडिया क्षेत्र में  प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव , टीकाकरण, परिवार कल्याण, मलेरिया, मोतियाबिंद ऑपरेशन, उल्टी -दस्त (डायरिया) से लेकर आयुष्मान कार्ड बनाने से लेकर समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों में उल्लेखनीय योगदान दिया है ।  वर्ष 2024 मे आदिवासी  अंचल के इनके प्रभार क्षेत्र खुड़िया सेक्टर में 438 संस्थागत प्रसव और शतप्रतिशत टीकाकरण किया किया गया है । 

आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये लता दर्रो को विभिन्न संगठनों द्वारा समय समय पर पुरूस्कृत भी किया जाता रहा है । वर्ष 2009 में अविभाज्य बिलासपुर जिले में  गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ महिला बहुउद्देश्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता के लिये भी इन्हे पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया है। 

विसम परिस्थितियों में लता दर्रो पहुँची मरीजों तक

(1 ) अपने कर्त्तव्य पालन के दौरान कई बार यह मनियारी नदी पार करते समय बह कर जान जाते बची है ।

(2) एक बार तो उसे जंगल में लकड़बग्घे में ने घेर लिया था। किसी तरह उसने लकड़ी के ठूंठ से लकडबंग्घे को मार कर भगा कर अपनी जान बचाई थी।

(3 )ग्राम सुरही में  जहां आज के दौर में बिजली नहीं है ,वहां अपने पदस्थापना के दौरान लता ने अपने शासकीय कर्त्तव्य के साथ साथ प्राइवेट रूप से बी एस सी  नर्सिंग और फिर एम एस सी (बाटनी ) की पढ़ाई भी पूरी की है। 

(4 ) सुपरवाइजर के रूप में 2010 में इनका प्रमोशन हुआ ।  लता चाहती तो किसी भी शहरीय, मैदानी इलाके में अपनी पोस्टिंग करा सकती थी , लेकिन इन्होंने खुड़िया के जंगल क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सेवा देने को अपने जीवन का उद्देश्य बना रखा था । लता अब भी इतने वर्षो से खुड़िया क्षेत्र मे अपनी सेवाये दे रही है । 

(5) लता ने खुड़िया क्षेत्र के बैगा आदिवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिये अपना जीवन समर्पित किया है । आदिवासी समुदाय की सेवा में लीन लता आज तक विवाह भी इसलिए नही किया है। लता का कहना है कि उसे जंगल क्षेत्र के, बैगाओं  आदिवासियों को स्वास्थ्य सेवा देने दिन रात किसी भी समय जाना होता है , जो विवाह के पश्चात  संभव नही हो पायेगा। लता ने अपने  युवा जीवन के बहुमूल्य 25 वर्ष वनवासियों की सेवा में अर्पित कर दिया  है और अब भी निरंतर जन सेवा में अपना जीवन  लगा रही है।

इनकी सेवाओं के लिए इन्हें विभिन्न अवसरों पर सम्मानित किया जा चुका है। शनिवार को रायपुर में सीएम विष्णु देव साय,डिप्टी सीएम अरुण साव एवं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल  ने स्वाथ्य योद्धा के नाम से स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किए।

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