
हरिपथ: लोरमी-(विशेष खबर )5 सितंबर ग्राम नवरंगपुर के शिक्षक चंद्रकुमार शर्मा और हरदी के शिक्षक खिलेश्वर बांधे दिव्यांग होने के बावजूद चुनौती को अवसर में बदलने की मिसाल बन गए हैं। वे दूसरों के अज्ञान रूपी अंधकार को शिक्षा की किरण से प्रकाशवान बना रहे हैं। वे पाठ्यक्रम के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा दे रहे हैं, ताकि वे आगे चलकर वही बच्चे आत्मनिर्भर और संस्कारवान नागरिक बन सकें। उनकी कार्यशैली के कायल विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्र के लोग भी हैं।

चंद्रकुमार शर्मा अन्य स्कूलों में भी जाकर बच्चों में शिक्षा और स्वस्थ जीवन शैली का प्रचार करने में लगे हुए हैं। वे ग्राम नवरंगपुर के चंद्रकुमार बच्चों को नैतिक और खिलेश्वर आत्मबल से सक्षम बनने कर रहे प्रेरित
मिडिल स्कूल में 1998 से उच्च वर्ग शिक्षक के रूप में पदस्थ चंद्रकुमार शर्मा दोनों पैर से सौ प्रतिशत दिव्यांग है। मिडिल स्कूल की तीनों कक्षा को पढ़ाते हैं। ब्लैकबोर्ड में स्वयं ही लिखकर छात्रों को बड़ी आसानी से सरल भाषा मे हिंदी, विज्ञान का ज्ञान दे रहे हैं।

सात राज्यों में दे चुके श्री राम-कथा का प्रवचन शिक्षक्षक चंद्रकुमार शर्मा का उद्देश्य बच्चों को नैतिक के साथ-साथ संस्कार की भी शिक्षा देकर बहुमुखी प्रतिमा का धनी बनाना है। उनकी शिक्षा को बच्चे बड़ी आसानी से वाहण करते हैं। वे बच्चों को चाय पीने से मना करते है। उन्हें चाय पीने के गुणदोष भी बताते है। श्री शर्मा हिंदी साहित्य, समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर और डीएड के साथ-साथ टाइपिस्ट है। भारत के सात राज्य में श्री राम-कृष्ण कथा का प्रवचन दे चुके हैं।

बचपन से नेत्रहीन दिव्यांग : खिलेश्वर ने बताया कि बचपन में खेज फोवर ने उन्हें नेत्रहीन बना दिया। सात वर्ष की आयु में उनकी आंखें की रोशनी चली गाई. पर उन्होंने उसी बेन को हथियार बना लिया। 1990 में हाईस्कूल की पढ़ाई करने अविभाजित मध्यप्रदेश के जबलपुर में अध्ययन किए और बिलासपुर के सीएमडी में स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। 2005 में घर से 5 किमी की दूरी पर नथेलापारा के स्कूल में पदस्थ हुए। वे पैदल या सायकिल से स्कूल जाया करते थे। 2008 में गृह ग्राम के मिडिल स्कूल पढ़ाते हैं। इनका कहना है कि शरीर कमजोर हो सकता है,पर आपका आत्मशक्ति कमजोर नहीं होना चाहिए। वे बच्चों को आत्माल बनने की शिक्षा दे रहे हैं।

शिक्षा देने के साथ-साथ शतरंज में माहिर है खिलेश्वर हरदी के मिडिल स्कूल में खिलेश्वर बांधे बतौर सहायक शिक्षक पदस्थ है। नेत्रहीन होने के बावजूद कमी इसे खुद और बच्चों के बीच को बाधा नही बनने दिया। ब्रेनलिपि पुस्तक से 6,7,8 के विद्यार्थियों को अंग्रेजी की ज्ञान देते हैं। वे शतरंज खेल के माहिर खिलाड़ी है, स्कूल के बच्चे ब्लाक लेबल में खेलते है। इनकी बेटी ज्योति ने राज्यस्तरीय में छठवा रेक हासिल किया है। ब्लेक बोर्ड में पढ़ाने के लिए समाधान भी ढूंढ लिए हैं। कक्षा के होनहार छात्र के हाथों से लिखवाकर अपनी कमी को दूर करते है।