त्योहारधर्म-संस्कृति-कलान्यूजमहिलाएंलोरमी

करवा चौथ:सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु एवं सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखेंगी निर्जला व्रत..

हरिपथ:लोरमी (विशेष खबर)10 अक्टूबर करवाचौथ के लिए विवाहितों ने तैयारियां शुरू कर दीं हैं। पूजा सहित अन्य सामग्रियों की खरीददारी की जा रही है। पूजा के पहले श्रृंगार के लिए ब्यूटी पार्लर में वेटिंग चल रही है। चंद्रोदय पश्चात सोलह श्रृंगार कर चंद्रदेव की पूजा- अर्चना कर पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ेंगी।

करवा चौथ का त्योहार हिंदू महिलाओं में बहुत लोकप्रिय है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु व सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। करवा चौथ  हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 10 अक्तूबर, शुक्रवार को है। करवा चौथ व्रत में कुछ जगहों पर सूर्योदय से पूर्व सरगी खाने की परंपरा है। करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 40 मिनट ज्योतिष शास्त्र में ब्रह्म मुहूर्त को  कल्याणकारी माना गया है। जानें करवा चौथ पर सरगी खाने का समय, पूजा विधि, सामग्री व चांद दिखने का समय।

(1)चतुर्थी तिथि कब से कब तकः हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 09 अक्तूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 10 अक्तूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।

(2) करवा चौथ में किस भगवान की पूजा करते हैं: करवा चौथ व्रत में सुहागिन स्त्रियां भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणेश जी के अलावा करवा माता की पूजा करती हैं। शाम को चंद्र दर्शन व अर्घ्य देकर व्रत का पारण करने की परंपरा है।

(3) करवा चौथ व्रत का समय 2025: इस बार करवा चौथ व्रत सुबह 06 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ होगा और रात 08 बजकर 13 मिनट तक रखा जाएगा। व्रत की कुल अवधि 13 घंटे 54 मिनट की है। हालांकि ध्यान रखें कि करवा चौथ व्रत चांद को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण होता है। अलग-अलग जगहों पर करवा चौथ का चांद दिखने का समय भिन्न हो सकता है।

(4) करवा चौथ पूजा सामग्री लिस्ट: शिव परिवार की तस्वीर व करवा माता की फोटो या चित्र, टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, अक्षत (साबुत चावल), कच्चा दूध, शक्कर, फूल, अगरबत्ती, शहद, चंदन, बिंदी, चुनरी, साड़ी, बिछुआ, मेहंदी, सिंदूर, रुई, कपूर, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, भोग के लिए मिठाई, आठ पूरियों की अठावरी, हल्दी व दक्षिणा (दान के लिए) आदि।

(5)करवा चौथ पूजा विधिः शाम के समय चंद्रमा निकलने से पहले महिलाएं एक साथ भगवान शिव, माता पार्वती और करवा माता की विधिवत पूजा करती हैं। करवा चौथ की कथा का पाठ करती हैं। इसके बाद व्रती महिलाओं को चंट टर्शन का बेसब्री से इंतजार रहता है। चांद के निकलने पर देखती हैं और अर्घ्य देती हैं, इसके बाद छलनी से पति का चेहरा कर पानी या मिठाई खाकर व्रत का पारण करती हैं।

(6)करवा चौथ सरगी खाने का समयः करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। हिंदू धर्म में करवा चौथ की सरगी खाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त अत्यंत उत्तम माना गया है।

सविता गुप्ता

(7)करवा चौथ पूजा मुहूर्तः करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 57 मिनट से शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि 01 घंटा 14 मिनट की है।

(8) करवा चौथ का चांद कितने बजे दिखेगाः करवा चौथ का चांद रात 08 बजकर 13 मिनट पर नजर आएगा। हालांकि अलग-अलग शहरों में चांद दिखने का समय अलग हो सकता है।

करवा चौथ हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर एवं मध्य भारत  में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष, 2025 में करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। करवा चौथ का दिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन वे सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं, सुंदर परिधान और आभूषण पहनती हैं, और घर की साफ-सफाई और सजावट पर विशेष ध्यान देती हैं। व्रत की शुरुआत प्रातः काल करवा (मिट्टी का बर्तन) सजाकर और पारंपरिक पूजा सामग्री के साथ पूजा समय महिलाएं चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही अर्चना करके की जाती है। दिनभर महिलाएं निर्जला व्रत  यानी बिना पानी और भोजन के उपवास करती है। शाम तक अपना व्रत खोलती हैं

ज्योतिषाचार्य के अनुसार करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है।

हेमलता खत्री का कहना है कि वे राजस्थान से विवाह होकर यहां आई। राजस्थान में रीति- रिवाज को लेकर बेहद संजीदा रहना पड़ता है। इस वैदिक परंपरा के निर्वहन के लिए करवाचौथ पर संध्याकाल तक व्रत रखकर पूजा अर्चना करती हूँ।

आशा अग्रवाल ने कहा कि करवाचौथ के लिए वे काफी पहले से तैयारी करती हैं। सोलह श्रृंगार के साथ पूजा- अर्चना करती है। व्रत के दौरान वे सभी नियमों का पालन करती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। बाजार  जमकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

श्रृंगार का विशेष महत्वः श्वेता केशरवानी का कहना है कि करवाचौथ व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। चंद्रदेव की पूजा- आराधना सुहागिन

पूणिमा यादव ने कही कि परिवार की सभी सुहागिन महिलाएं विधि-विधान से करवा माता की कथा सुनती हैं। इसके बाद पति की उपस्थिति में पूजा करते हैं। पति की दीघायु की कामना के साथ व्रत तोड़ा जाता है।

प्रीति अग्रवाल ने कहा महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। चलनी से चाद को देखकर कर व्रत तोड़ा जाता है। सामानों में जहां कलाकारी बढ़ी है, वहीं तैयारी भी करते है।श्रृंगार में भी महिलाएं बहुत खर्च कर रहीं हैं।

पति के लिए व्रत: निक्की सलूजा  का कहना है कि पति की दीर्घायु की कामना को लेकर व्रत रखा जाता है। सिख समुदाय की समस्त सुहागिन महिलाएं गुरुद्वारा में पहले मत्था टेकती हैं। उसके बाद एकसाथ चंद्र देवता की पूजा की जाती है। सामूहिक रूप से करतीं है। 

error: Content is protected !!