आदर्श और निर्विकार जीवन जीने की राह दिखाते है, श्रीमदभागवत- -रत्नावली

हरिपथ न्यूज मुंगेली – ग्राम शुक्लाभांठा में पांच कुंडीय रूद्र महायज्ञ एवं श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया। महायज्ञ एवं कथा के समापन समारोह में अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण छग शासन सदस्य एवं महिला कांग्रेस प्रदेश महासचिव रत्नावली कौशल को बतौर मुख्य अतिथि सामिल हुये।
हिन्द सेना महिला ब्रिगेड राष्ट्रीय अध्यक्ष रत्नावली कौशल ने व्यास गद्दी का पूजन कर श्रीमद भागवत गीता ग्रंथ पर श्रीफल अर्पित किया और व्यास गद्दी पर विराजमान कथा वाचक एवं यज्ञ आयोजक आचार्य पं जय कुमार शास्त्री एवं भागवताचार्य पं भोलेश्वर शास्त्री उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से गीता ग्रंथ का जयकारा लगवाकर अपना सम्बोधन आरंभ किया। सुश्री कौशल ने कहा कि आप लोग धन्य हैं जो आपको कथा श्रवण का ऐसा सुअवसर प्राप्त हुआ है, उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत गीता में हमारे जीवन से जुड़े हर रहस्य, हर समस्या, हर शंका और हर प्रश्न का समाधान भगवान श्रीकृष्ण ने किया है,भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में न सिर्फ अर्जुन के रथ के सारथी की भूमिका निभाई, बल्कि वे हम सभी के जीवन रूपी रथ के भी सारथी बन गए। उनके मन में तरह तरह की शंकाएं उठने लगी थीं। ऐसे समय में उनके सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश देकर उनकी शंकाएं, भ्रान्तियां, और जिज्ञासाएं दूर कर दीं। उसके बाद ही अर्जुन रणभूमि में जा पाए और कौरवों को परास्त करने में सफल हो पाए। रत्नावली कौशल ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता में युद्ध के मैदान पर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का सार समाहित है। उन्होंने कहा कि उपदेश में श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए एक – एक वाक्य हमें आदर्श और निर्विकार जीवन जीने की राह दिखाते हैं, हमारी हर समस्या, हर शंका, हर दुविधा, जीवन की हर कठिनाई का समाधान करते हैं। श्रीमद भागवत गीता को विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य माना गया है। इस पर पश्चिमी देशों में भी शोध हुए हैं। आज पश्चिमी देशों के राजनेता और असंख्य नागरिक भी गीता में लिखी गई बातों का अनुशरण कर अपने जीवन को सार्थक बना रहे हैं। हमें भी ऐसे महान ग्रंथ में श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों का अनुशरण कर अपने जीवन को धन्य बनाना चाहिए। आयोजन में पं जगकुमार शास्त्री, पं भोलेश्वर शास्त्री,दाताराम गेबेल,धन्वंतरी वर्मा,भागीरथी ठाकुर, भोजराज गबेल, रामकुमार गबेल, वेदराम साहू, जगन्नाथ साहू सहित समस्त शुक्लाभाठा ग्रामवासियों का योगदान रहा।