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अचानकमार में बढ़ा बाघों के कुनबा ! ब्लेक पैंथर की पुष्टि…

हरिपथ न्यूजलोरमी29 जुलाई को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय टाइगर डे माना रहे है। यह दिवस आज छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी खुशखबरी ले कर आया है। अप्रैल 2024 में हुए फोर्थ फेस टाइगर सर्वे में अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर अब 10 हो गई है।

10 बाघों की पुष्टि- जिसमे 03 मेल & 07 फीमेल टाइगर है। यहा बताना जरूरी होगा कि एटीआर में टाइगर सेंसस 2022 में बाघों की संख्या केवल 05 आंकी गई थी। यह ही नहीं उक्त ग्रीष्मकालीन सर्वे के दौरान एटीएर में विलुप्त प्रजाति का मेलानिस्टिक लेपर्ड ( ब्लैक पैंथर ) का होने का भी पुष्टि हुआ हैं। 

यह पूरे छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि एटीआर प्रबंधन की मेहनत रंग लाई।
यह एटीआर प्रबंधन द्वारा निरंतर बाघों की संख्या वृद्धि की दिशा में किए गए कार्यों और योजनाओं का परिणाम है जिसके कारण आज बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसी दिशा में अगर प्रबंधन निरंतर प्रयासरत रहे तो भविष्य में और बेहतर परिणाम आयेंगे। जिससे न केवल जंगल की उत्पादकता बढ़ेगी, साथ ही इकोटूरिसम में वृद्धि होगी और अन्य देशों से आए सैलानियों एवम वन्यजीव प्रेमियो की संख्या बढ़ेगी। इससे जहा स्थानीय जनसमुदाय को अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, वही वन्यजीव प्रेमियों, वानिकी के विद्यार्थियों & रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक बेहतर विकल्प राज्य में ही उपलब्ध हो पाएगा।

बता दे कि बाघों की संख्या वृद्धि यू ही नही हुई है। उपसंचालक यू आर गणेश के अनुसार इसके पीछे एटीआर प्रबधन की कड़ी मेहनत और स्ट्रेटजी है। जिसमे एक ओर जहा रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र के 108 बीटो में नियक्त पैदल गार्ड और परिसर रक्षकों द्वारा जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप मोबाइल एप द्वारा प्रतिदिन 10 km की पेट्रोलिंग की जाती है, वही कैमरा ट्रैप दैनिक चेकिंग कर बाघों सहित अन्य जानवरों की सटीक निगरानी सुनिश्चित होती है। बाघों की विशेष निगरानी के लिए यहां stpf की टीम भी गठित है जिनका मुख्य कार्य केवल बाघों की ट्रैकिंग करना है, इनके द्वारा हर विपरीत परिस्थिति और मौसम में भी लगातार गश्त कर बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इन सभी प्रकार की व्यवस्थाओं टेक्निकल मॉनिटरिंग के लिए कोटा में जीआईएस सेल भी स्थापित है, जहा प्रत्येक सप्ताह और माह में प्राप्त सभी डाटा का एनालिसिस कर रिपोर्ट सीधे डिप्टी डायरेक्टर और फील्ड डायरेक्टर को दी जाती है।

चूंकि एटीआर नेटवर्क विहीन क्षेत्र है, इस हेतु यहां वायरलेस तकनीकी की मदद से सभी प्रकार के निर्देशों और सूचनाओं का सुलभ प्रसार सुनिश्चित हो पाता है।
हम बता दे कि एक समय था जिसमे यह कहा जाने लगा था कि एटीआर बाघ विहीन है या बाघ विलुप्तप्राय है, किंतु ऐसे में बाघों की संख्या में वृद्धि की यह खबर उन्हें भी उन्हें भी सोचने में मजबूर कर देगी कि यह कैसे संभव हुवा। वास्तव में देखा जाए तो किसी भी वन्यजीव प्रजाति की संख्या वृद्धि अचानक से नही होती है, बल्कि इसके लिए समयबद्ध योजनाएं, टेक्निकल रणनीति और सतत मैनुअल और टेक्निकल मॉनिटरिंग अत्यंत आवश्यक होता है, जिसमे लिए काफी वक्त लगता है। मुख्य वन्यप्रानी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में रहवास विकास कार्य जैसे चारागाह विकास , ग्रीष्मकाल में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना , समय सीमाँ मूवावजा प्रकरण तैयार करना संवेदनशीलता से ए टी आर कर रहा हैं जिसका दूरगामी परिणाम जरूर परिलक्षित होता है।
बाघों की सुरक्षा और संरक्षण में एटीआर प्रबंधन के अतिरिक्त सबसे बड़ी भूमिका यहां निवासरत जनसमुदाय का है। जिनके प्रत्यक्ष भागीदारी और प्रकृति संरक्षण के प्रयासों के कारण ही आज वन्यजीव यहा सुरक्षित है। यहां वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए 31 वन प्रबंधन समिति गठित है। जिनके प्रत्यक्ष सहयोग के कारण ही अग्नि सुरक्षा,अतिक्रमण, अवैध कटाई और शिकार पर समग्र नियंत्रण स्थापित हो पाता है।एटीआर प्रबंधन के हर प्रयास में ग्रामीणों का भूमिका अहम होती है और वे स्वस्फूर्त ढंग से प्रबंधन का सहयोग करते है। यही कारण है कि आज भी एटीआर वन क्षेत्र सुरक्षित और संरक्षित है। एटीएर अंदर एवं लगे हुए गाँव के युवकों के सपने को भी पंख दे रहा हैं । एटीआर प्रबंधन द्वारा इको पर्यटन में ड्राइवर , गाइड के रूप में स्थानीय युवकों और महिलाओं को आजीविका प्रदान करते ही हैं । साथ ही भिलाई , बैंगलोर शहरों में आयोजित प्रशिक्षण से युवकों को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा हैं , ज़ो वन्यप्रानी सुरक्षा एवं पार्क प्रबंधन में जनभागीरदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करता हैं ।

उपरोक्त आजीविका मूलक प्रशिक्षण उपरांत प्लेसमेंट प्राप्त समस्त युवकों को प्रदेश के माननीय उपमुख्यमन्त्री श्री अरुण साव जी के द्वारा पुरस्कृत कर छात्रों और प्रबंधन का हौसला बुलंद किया गया हैं। सिविल सोसाइटी भी एटीएर में सर्वे मॉनिटरिंग हेतु अपना सहयोग दे रहा हैं । फ़ेस 4 मॉनिटरिंग हेतु हुए MOU के आधार पर डडब्ल्यूडब्ल्यूएफ ATR से जुड़े हैं । नेचर एंड बायोडायवर्सिटी एसोसिएशन , ICICI फ़ाउण्डेशन , TDU बैंगलोर, बिलासपुर के वरिष्ठ नागरिक एवं पत्रकार भी ATR से जुड़कर विभिन्न कार्य में अपना सहयोग एवं भूमिका निभा रहा हैं।


एटीआर के फील्ड डायरेक्टर के अनुसार टाइगर भविष्य में मॉनिटरिंग एवं प्रबंधन का सुधृढ़ीकरण हेतु नया TCP निर्माण, कॉरिडोर प्लान सहित नया कार्य योजना का निर्माण प्रगतिरत हैं । उन्होंने समस्त जन समुदाय को धन्यवाद देते हुए आग्रह किया है कि एटीआर की इस उपलब्धि का संरक्षण और संवर्धन को यथावत रखने में सदा सहभागी रहे और एटीआर को और आगे बढ़ाने हेतु यथासंभव सहयोग प्रदान करते रहे।

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