पाकिस्तान एवं श्रीलंका से लड़ने वाले रिटायर्ड फौजी का सम्मान के साथ अंतिम विदाई…

पूर्व सैनिक वयोवृद्ध फौजी कौशल दुबे 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पूरे सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर को तिरंगा में लपेटकर भारतीय झंडे को परिजन को सौंपा गया। उन्होंने पाकिस्तान के साथ हुए 1965 एवं 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेकर बांग्लादेश का उदय होते देखा।

हरिपथ–लोरमी– 1971 में भारत-पाकिस्तान एवं एतिहासिक श्रीलंका के लड़ाई में हिस्सा लेने वाले वीर सिपाही कौशल दुबे की पुरे सम्मान के साथ पुष्प चक्र एवं रिट अर्पित कर अंतिम विदाई दी गई।


16 दिसंबर 1971 के बीच युद्ध हुआ। 13 दिन चले इस युद्ध में बांग्लादेश की उत्पत्ति हुई। पहली बार दूसरे देश में जाकर उस को आजादी दिलाने में भूमिका कौशल दुबे ने निभाई।

नगर के वार्ड एक महामाया पारा निवासी कौशल दुबे एक अलग देश की उत्पत्ति में भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना में पदस्थ रहे।

1965 के युद्ध में हुए शामिल-रिटायर्ड फौजी कौशल दुबे 1965 के युद्ध में जब उन्हें मोर्चे पर भेजा गया तो वे खुशी से फूले नहीं समाए। भारत पाकिस्तान के बीच अप्रैल से सितंबर 1965 के बीच युद्ध हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप के चाद युद्ध विराम हुआ।
झुकाया पाकिस्तानी फौज का सिर श्री दुबे 1971 के युद्ध में चाय एयर असम से ढाका गाए। चार दिन दुश्मनों के बीच युद्ध में घिरे रहे। इस युद्ध में मारत ने पाकिसतान को यो टुकड़ों में बांट दिया और बंग्लादेश का उदय हुआ। 9300 पाकिस्तानी सैनिकों सिर नीचे झुकते देखा। उन्होंने सरेंडर कर दिया।

साढ़े तीन हजार ऊंची पहाड़ी पर फहराया तिरंगा- भारतीय सेना के रिटायर्ड फौजी 89 वर्षीय कौशल प्रसाद दुबे को 5 मैडल भारतीय सेना में नौकरी के दौरान मिले। पच्चीसवीं स्वतंत्रता जयंती पर भी मैडल से नवाजा गया था। श्री दुबे का जन्म 19-3-55 में हुआ। उनका बचपन में भारत को स्वतंत्र होते हुए देखा। बड़े हुए तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से प्रेरित होकर भारतीय सेना में शामिल हुए। 1963 से 1979 तक ये फौज का हिस्सा रहे। उन्होंने 1965 व 1971 की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई। 1962 में बिलासपुर से आईटीआई की। उसी के आधार उनको नौकरी मिली।

शोक सभा में संतोष साहू ने कहा कि लोरमी के गौरव के रूप में हमारे वह सबसे पुराने सैनिक आज हम सबके बीच नहीं रहे यह लोरमी की अपूरणी क्षति है उनका विशाल व्यक्तित्व हम सबको प्रेरणा देता रहेगा हम सदा परिवार के साथ जीवन भर रहेंगे। भारत में जन्म लेना ही एक पुण्य है, साथ ही एक सैनिक के रूप में सेवा देना परम सौभाग्य की बात है।

सूबेदार मेजर शिवेंद्र पांडे ने कहा कि प्रशासन की ओर से जो भी आर्थिक मदद होगी हम सभी प्रदान करेंगे साथ ही उनकी धर्मपत्नी को हर संभव हमेशा मदद करने का आश्वासन दिया गया।

अंत में सामूहिक प्रार्थना के पश्चात तिरंगे को ससम्मान उनके परिजन को सौंप करके उस अमिट छाप अपने हृदय में उस सैनिक के प्रति बनाए रखने का आग्रह किये।

इस अवसर पर पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष संतोष कुमार साहू सैनिक कल्याण कार्यालय जिला बिलासपुर से सूबेदार मेजर शिवेंद्र पांडे, पूर्व सैनिक कमल नारायण साहू, पूर्व सैनिक रामकुमार मौर्य, अशोक राजपूत ,मनोज चंद्रा , निरीक्षक अखिलेश कुमार वैष्णो मनोज यादव सहित पुत्र शंकर दुबे, सुनील दुबे, पुष्कर दुबे एवं परिवार के लोग मौजूद रहे।