पनिका समाज को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने का अशासकीय संकल्प छ.ग. विधानसभा में पारित ●●●●

हरिपथ न्यूज ◆रायपुर/मुंगेली●●भारत में छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां पनिका जाति ग्रामीण इलाकों वन्य प्रांतों नदी नालों से लेकर ऊंची ऊंची पहाड़ों में अपने जनजाति गोड़,कंवर, भैना,बिझवार, बांस के चिक बनाने वाली महतो जनजातियों के साथ अपनी बुनकरी के साथ साथ आज ग्राम प्रमुख कोटवार की भूमिका में शासन प्रशासन,राजस्व से लेकर चुनाव,चाहे वह लोकसभा हो, विधानसभा हो,की भूमिका में रहते हुए कला के क्षेत्र के साथ ही देव पूजा और कबीर साहब के सिद्धांतों को मानते हुए बैगा, महंत, दीवान सात्विक के साथ ही अपने गरीबी में भी सरलता, ईमानदारी,के साथ ही प्रकृति वनौषधि पर आश्रित रहने वाली जाति के रूप में सुविख्यात है।
इस जाति का रहन सहन, गोड़, कंवर और अन्य अनुसूचित जनजातियों के साथ ही सर्वधर्म समभाव के रूप में दास,गरीबी, सरलता और बुद्धि में तेज होते हुए भी सहजता, हंसमुख के रूप में विषम परिस्थितियों को भी अनुकूल बना लेने के रूप में आदिम व्यवस्था से लेकर सुविख्यात है।पनिका जाति का जन्म, मृत्यु,विवाह, जन्म संस्कार,गोड़, कंवर से मिलता-जुलता है। इस जाति में दो समूहों के लोग छत्तीसगढ़ के संपूर्ण जिलों में निवासरत है।
साकत और भगत दोनों समूह के पनिका मे आपस में संबंध व्यावहारिक दृष्टि से बना हुआ है। कबीरपंथी पनिका लोग ज्यादातर अपना नाम के साथ उपनाम मानिकपुरी, महंत,दीवान को लिखते हैं वही साकत पनिका समूह के लोग नाम के साथ उपनाम साकत, संत, पूरी, और गोत्र को लिखते चले आ रहे हैं। खान-पान में कबीरपंथी पनिका लोगों का खान-पान विशुद्ध है शाकाहारी है वही साकत पनिका समाज के लोग शिक्षा के साथ-साथ उस चीज को अपना आहार में सम्मिलित कर रहे हैं जो विज्ञान की दृष्टि से उचित है।इस खानपान में अशिक्षा,अज्ञानता और विलासिता के कारण अपने जीवन को ही नष्ट करने से चूक नहीं रहे।
पनिका जाति को भारत के अलग-अलग राज्यों में तीन कैटेगरी में विभाजित कर रखा गया है, वर्तमान में छत्तीसगढ़ में इस जाति को पिछड़ा वर्ग के रूप में रखा गया है जबकि अविभाजित मध्यप्रदेश में यह जाति 1971 के पहले अनुसूचित जनजाति के रूप में रही है मध्य प्रदेश के केवल 8 जिलों में यह जाति अनुसूचित जनजाति के रूप में अभी भी है। उनकी स्थिति अन्य पनिका से आर्थिक दृष्टि से अलग है वह बड़े बड़े पद पर आरक्षण के कारण धनिक लोगों में है वही मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में यह जाति पिछड़ा वर्ग के रूप में है जो गरीबी की जीवन जंगलों,पहाड़ों में बिता रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की कहे तो वहां भी यह जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग में है उड़ीसा प्रदेश में तो इस जाति को भारत सरकार ने अनुसूचित जाति (SC)के रूप में रखा है।
सबसे विचित्र बात यह है कि पनिका जाति एक साथ कहीं अनुसूचित जनजाति तो कहीं अनुसूचित जाति और कहीं एक साथ पिछड़ा वर्ग के रूप में विभाजित होकर अपने मूलभूत आदिम जनजाति से पृथक होकर गरीबी का जीवन और मेहनत, मजदूरी को मजबूर होकर, शिक्षा,स्वास्थ्य, रोटी,कपड़ा और मकान का मोहताज हो रही है ऐसे में 8 दिसंबर 1971 से लगभग 51 वर्ष से वंचित पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति में, भारत सरकार विधानसभा छत्तीसगढ़ में पारित प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है तो यह हमारे पनिका जाति के लिए एक ऐतिहासिक परिवर्तन होगा जो हमारा आदिम जनजाति व्यवस्था के अनुसार हमारा अधिकार है।
समाज के प्रमुखों के द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल का समाज के प्रमुखों के द्वारा आभार व धन्यवाद वयाप्त किये।प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ साकत पनिका समाज वंसधारी सावरा जी, प्रदेश उपाध्यक्ष दशरथ साकतजी , प्रदेश सचिव थानूराम बघेल , प्रदेश कोषाध्यक्ष साधु राम कोठारी जी, प्रदेश संरक्षक जे.आर. साकत, प्राणनाथ साकत जी, नवीन पिटानिया , घनश्याम काशीपुरी जी,लक्ष्मण टांडिया जी,अशोक काशीपुरी ,टीका मरावी , नन्दलाल काशीपुरी,जियालाल सोनवानी, नीलबहादुर काशीपुरी रामकुमार बघेल,सूरजभान बघेल, भागवत साकत, गणेश साकत, उत्तम साकत, कीर्तन साकत महेश साकत,राधे लाल साकत, पोकल पनरिया, राजेंद्र साकत, सुनील साकत,हरदेव साकत, परस पड़वार,रामस्वरूप, बबलू,मुकेश,संजय साकत,प्रकाश साकत,पुष्पा मोंगरे, अनीता, तुलाराम साकत एवं समाज के सभी बुद्धिजीवियों ने विनय चोपड़ा विधायक मनेंद्रगढ़, एवं चरण दास महंत जी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ साकत पनिका समाज वंसधारी सावरा, प्रदेश उपाध्यक्ष दशरथ साकत , प्रदेश सचिव थानूराम बघेल, प्रदेश कोषाध्यक्ष साधु राम कोठारी, प्रदेश संरक्षक जे.आर. साकत, प्राणनाथ साकत , नवीन पिटानिया, घनश्याम काशीपुरी जी,लक्ष्मण टांडिया जी,अशोक काशीपुरी, टीका राम मरावी , नन्दलाल काशीपुरी,जियालाल सोनवानी, नीलबहादुर काशीपुरी रामकुमार बघेल,सूरजभान बघेल, भागवत साकत, गणेश साकत, उत्तम साकत, कीर्तन साकत महेश साकत,राधे लाल साकत, पोकल पनरिया, राजेंद्र साकत, सुनील साकत,हरदेव साकत, परस पड़वार,रामस्वरूप, बबलू,मुकेश,संजय साकत, प्रकाश साकत,पुष्पा मोंगरे, अनीता, तुलाराम साकत,एवं समाज के सभी विनय चोपड़ा विधायक मनेंद्रगढ़ एवं चरण दास महंत का आभार व्यक्त किया। उक्त जानकारी थानुराम बघेल ने दी।