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वनविभाग ने 9 घण्टे रेस्क्यू अभियान चलाकर , पत्थरों के बीच फंसे शिशु हाथी को सुरक्षित निकालकर उसके मादा हाथी एवं बिछड़े दल से मिलाया…

हरिपथधर्मजयगढ़-29 मार्च वनमंडल के जमबिरा बिट, रेंज बकरूमा में जंगल की ओर से हाथी के बच्चे तेज आवाज सुनकर वनविभाग की टीम सक्रिय हुये। पत्थरों के बीच फंसे शिशु हाथी शावक को सुरक्षित बचाकर उसके मादा हाथी एवं दल मिलाया गया। करीब 9 घण्टे चले रेस्क्यू में वनविभाग के अधिकारी कर्मचारी सामिल रहे।

हाथी वन्य प्राणियों का रेस्क्यू करना बहुत ही खतरे का काम होता है जब भी हम किसी वन्य प्राणी की जान बचाते हैं और वह जब अपने को सुरक्षित समझते हैं तो सबसे पहले सबसे करीब व्यक्ति के ऊपर ही आक्रमण करते हैं यह उनका सामान्य स्वभाव है इस स्वभाव को ध्यान रखते हुए रेस्क्यू टीम को अपनी जान बचाते हुए यह काम करना पड़ता है।



हाथियों के चिंघाड़ से सक्रियता विभाग ने दिखाई -28 मार्च  की दरमियानी रात तकरीबन दो से तीन बजे के बीच धर्मजयगढ़ वन मंडल अधिकारी को सूचना मिली की जमबिरा बिट, रेंज बकरूमा में जंगल की ओर से हाथी के बच्चे एवं हाथी की आवाज आ रही है ऐसा प्रतीत हो रहा है की हाथी किसी परेशानी में हैं।
वन मंडल अधिकारी ने तुरंत स्थिति की जांच के लिए टीम भेजी और पाया कि एक हाथी का शावक पत्थरों के बीच में फंस गया है शावक को बचाने का अभियान प्रारंभ हुआ और शावक को तकरीबन 9 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन पश्चात गड्डे से बाहर निकाला गया।

अब बड़ी समस्या थी मां से मिलाने की, यह भी एक चिंता थी कि मां स्वीकार करेगी या नहीं स्वीकार करेंगी।कई बार अस्वीकार करती है और बच्चे को साथ नहीं ले जाती या बच्चा वापस रेस्क्यू टीम के साथ या बाद में आ जाता है यह भी चिंता थी।

दल से मिलाना चुनौती पूर्ण-पास में विचरण कर रहे हाथी के दल का लोकेशन लिया गया और हाथी के दल से मिलाने का प्रयास प्रारंभ हुआ और अंततः सफलता मिली शनिवार को दोपहर लगभग 12:00 बजे बच्चे को मां से मिलाया गया और मां बच्चे को लेकर जंगल की ओर चली गई। यह बहुत ही मार्मिक एवं भावुक पल था पूरी टीम के चेहरे में ऐसी खुशी थी कि मानो खुद का बच्चा मिल गया हो।
इस टीम में एलीफेंट ट्रैक्टर, चौकीदार, हाथी मित्र दल, बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंज ऑफिसर, दो उप मंडलाधिकारी, वन मंडल अधिकारी सहित लगभग 25 सदस्य शामिल रहे।

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