रायपुर

जो जनजाति परंपरा नहीं मानते उनको आरक्षण का लाभ ना मिले, डीलिस्टिंग की मांग जनजाति सुरक्षा ने की.. मंच ने मुखर की आवाज 16 राजधानी में भव्य रैली की तैयारी

हरिपथ न्यूज -रायपुर.. सोमवार 03 अप्रैल को राजधानी रायपुर स्थित स्वदेशी भवन के सभागार में जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से गणेश राम भगत (राष्ट्रीय संयोजक, जनजाति सुरक्षा मंच), भोजराज नाग (संयोजक, जनजाति सुरक्षा मंच, छत्तीसगढ़), रोशन प्रताप सिंह (संयोजक, जनजाति सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़) और संगीता पोयाम (सह-संयोजिका, जनजाति सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़) ने प्रेस के सामने चर्चा की।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आगामी 16 अप्रैल को एक बड़े आंदोलन एवं महारैली का आह्वान किया गया है। इस महारैली में हजारों की संख्या में जनजाति नागरिक शामिल होंगे, जिनकी एक ही मांग होगी डीलिस्टिंग।

16 अप्रैल को राजधानी के वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के सामने इस भव्य रैली का आयोजन किया जाएगा। इस रैली के माध्यम से जनजाति समाज की यह मांग है कि जिन नागरिकों ने अपनी मूल संस्कृति और अपने मूल धर्म को छोड़कर विदेशी धर्म अपनाया उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से तत्काल बाहर किया जाए और इसके लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन किए जाए। चूंकि छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के द्वारा मूल जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं को अवैध रूप से छीना जा रहा है?जिसमें आरक्षण भी एक प्रमुख तत्व है, इसलिए हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के जनजातियों के साथ-साथ देश के करोड़ों जनजातियों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जाए और धर्मान्तरितों को डी-लिस्ट किया जाए।

विज्ञप्ति में उल्लेख किये है,कि छत्तीसगढ़ सहित भारत में धर्मांतरण स्वतंत्रता के पूर्व से ही भारत के अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। विदेशी धर्म के द्वारा छत्तीसगढ़ के लोगों का धर्म परिवर्तन कराना कोई नई घटना नहीं है, लेकिन पिछले कुछ दशकों से इसमें भारी वृद्धि देखी गई है। इस तरह के धर्मांतरण जनजाति समुदाय को एक धीमे जहर की तरह प्रभावित कर रहे हैं और यह उनके मूल विश्वास, संस्कृति, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को समाप्त कर रहे हैं।

दरअसल जनजाति समाज को आरक्षण इसीलिए दिया गया है, ताकि उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाया जा सके। लेकिन जनजाति आरक्षण का मूल उद्देश्य तब अर्थहीन हो जाता है, जब जनजाति अपने मूल विश्वास और संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को अस्वीकार कर दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब कोई व्यक्ति अपने समुदाय की ही पहचान खो देता है तो वह अपनी मूल पहचान की रक्षा और उसे बनाए रखने के लिए दिए गए लाभों को उठाने का पात्र कैसे हो सकता है ?

इसीलिए अपनी मूल संस्कृति, रीति-रिवाजों, भाषाओं, परंपराओं एवं पुरखों की विरासत को बचाने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच ने 16 अप्रैल को विशाल महारैली का आयोजन किया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से हजारों की संख्या में जनजाति समाज के लोग शामिल होंगे। हम सभी से इस बात का अनुरोध करते हैं कि विदेशी धर्मों से गरीब अनुसूचित जनजातियों को बचाने में और उनसे संघर्ष करने में हमारी सहायता करें, अन्यथा जनजाति समुदाय की बहुत सी पहचान और लक्षण कुछ ही समय में विलुप्त हो जाएगी। जिस पर मंच ने चिंता जाहिर की है।

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