पानी किल्लत-ग्रामीणों ने खेत की मेढ़ काटकर मनियारी का पानी आगर में मिलाया , बढेगा भूजल स्तर….

हरिपथ–लोरमी– ग्राम सेनगुड़ा से चिल्फी आगर नदी में मनियारी नदी पानी नहर से आगर नदी तक निस्तार एवं जल संकट से निजात पाने व वाटर रिचार्ज सिस्टम को बहाल करने के लिए ग्रामीण ने एक खेत से दूसरे खेत तक एक किलोमीटर से अधिक तक खेतों के मेढ़ काटकर पानी पलाकर आगर नदी में आखिरकार मनियारी का पानी समाहित किये।

गौरतलब है कि ग्राम खपरीकला चिल्फी, कोसमतरा,लगरा, साल्हेघोरी (रैतरा) जैसे अन्य क्षेत्रों में जल शोधन के कारण भूजल स्तर रसातल में चली गई है, इससे सैकड़ो नलकूप जवाब दे चुके हैं। पेयजल जैसे के निस्तारी के लिये भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है, इस समस्या को दूर करने के लिए ग्रामीण और प्रशासन पहल कर सेनगुड़ा के पास से D3 नहर से खेत में पालकर खुड़िया बांध का पानी आगर नदी तक ले जाने में आज ग्रामीणों ने खूब पसीना बहाया। आखिरकार मनियारी का पानी आगर में समाहित करने उनको सफलता मिल गई।

ग्रामीणों ने बताया कि इससे भूजल स्तर थोड़ा बहुत तो ठीक होगा और कम से कम पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से प्रारंभ होने में सुविधा प्रदान होगी! लेकिन निचले स्तर के किसानों को खेत की प्यास बुझाने नही होगी। ये नदी के स्टॉप डेमो में भरा रहेगा और बढ़ती गर्मी में लोगो को निस्तारी के पानी उपलब्ध होगी। इससे ग्राम साल्हेघोरी रैतरा के किसानो को गर्मी फसल धान धान गेहूं जैसे फसलों को बचा नही पायेगी। यहाँ के किसान अब धान के फसलों को मवेशियों के हवाले कर रहे है।
