आस्थादेवालयन्यूजपरम्परामुंगेलीलोरमीविशेष खबर

श्रावणमास: शिव मंदिरो में गूँजेगा हरहर महादेव… इस बार चार सोमवार

हरिपथलोरमी/मुंगेली, 11 जुलाई श्रावणमास में क्षेत्रों के शिवालयों में जलाभिषेक व पूजन होगा ,शिव मंदिरों में पूरे महीने रुद्राभिषेक चलेगा। इस बार सावन महीने की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है और पहला सावन सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन मंदिरों में सुबह से भोलेनाथ की विशेष पूजन शुरू हो जाएगा, भक्तों के लिए जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व रहेगा।

पालेश्वरनाथ शिवलिंग

पंडितों ने बताया कि श्रवण सोमवार के साथ-साथ 22 जुलाई को पड़ने वाला भौम प्रदोष व्रत भी रूद्राभिषेक के लिए अत्यंत शुभ है। भक्त हर सोमवार को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद व पंचामृत से शिवलिंग का जलाभिषेक करेंगे। मान्यता है कि श्रावण मास में किया गया अभिषेक शीघ्र फल देता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। वहीं सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर भी भक्त विशेष पूजा करेंगे। शहर के मंदिरों में पहले सोमवार को पूजा-अर्चना के बाद मंदिरों महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। सावन मास को लेकर मंदिरों में तैयारी पूरी कर ली गई है।

लोरमी के महामाया रोड स्थित शिवलिंग

पंचांग-ब्रहम मुहूर्त सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक,विजय मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से 13 बजकर 40 मिनट तके, गोधूलि मुहूर्त-वोपहर 07 मिनट 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक

पाली स्थित 21 फीट का शिवलिंग

हिंदू धर्म में सावन को प्रेम, भक्ति और हरियाली का प्रतीक माना जाता है। इस माह देवों के देव महादेव की उपासना का विधान है। शास्त्रों के मुताबिक सावन भोलेनाथ का प्रिय महीना है। इस अवधि में प्रभु की उपासना और उपवास करने से साधक को आर्थिक लाभ, सामाजिक सम्मान और शारीरिक बल की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा सावन तप-तपस्या के लिए भी सबसे शुभ समय है। पौराणिक कथा के अनुसार सावन माह में माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने देवी को पत्नी के रूप में स्वीकारा था। इसलिए इस माह की उपासना का विशेष महत्व होता है। वहीं इस बार 11 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है और 9 अगस्त 2025 को समापन होगा। यानी इस बार 28 दिन सावन का पुनीत माह होगा जिसमें चार सावन सोमवार पड़ेगे।

14 जुलाई को पहला सोमवार व्रत, 21 जुलाई को दूसरा सोमवार व्रत,28 जुलाई को तीसरा सोमवार व्रत,04 अगस्त को चौथा सोमवार व्रत ,कब-कब है मंगला गौरी व्रत 2025,15 जुलाई को सावन का पहला मंगला गौरी व्रत ,22 जुलाई को सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत ,29 जुलाई को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत ,05 अगस्त सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत

रामजानकी मंदिर

,अमृत काल- रात 12 बजकर 01 मिनट 12 से 01 बजकर 40 मिनट तकसूर्योदय – सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर ,सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 22 मिनट पर चन्द्रोदय- रात 8 बजकर 25 मिनट पर ,चंद्रास्त – सुबह 05 बजकर 35 मिनट परसावन की इस साल की तिथि-वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पुर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। इसके अगले दिन यात्री 11 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत होगी। आषाढ़ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन 12 जुलाई को बेर रात 02 बजकर 08 मिनट पर होगा। ऐसे में 11 जुलाई से सावन महीना शुरू होगा।

शिवघाट

इन बातों का रखें ध्यान-सावन के महीने में रोजाना भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें।गंगाजल, शहद, जल, बेलपत्र, कच्चा दूध और सफेद फूल समेत आदि चीजों से अभिषेक करें। पूजा के दौरान शिव मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें।अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें।

॥ पार्वती ने की थी तपस्या!!पौराणिक कथा के अनुसार भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। फलस्वरूप महादेव ने पार्वती माता को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का कर दिया। मान्यता है कि मगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है, ठीक उसी तरह मां पार्वती को भी सावन का महिना अत्यंत प्रिय है। सावन सोमवार को भगवान ओलेनाथ की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने से मनचाहा वर-वधु प्राप्त होता है। सावन सोमवार का व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। राहु-केतु का अशुभ प्रभाव दूर होता है।

बाबाघाट

इन मंदिरों में होगी विशेष पूजा-लोरमी शहर के प्रसिद्ध शिवघाट  स्थित शिव मंदिर, महामाया रोड स्थित शिवलिंग, श्रीराम जानकी मंदिर, सिद्धबाबा आश्रम रामहेपुर बाबाघाट के शिवमंदिर, बाजार मोहल्ले के शिवमन्दिर, ग्राम पाली के पालेश्वरनाथ मंदिर के प्रसिद्ध शिवलिंग जहाँ सावन महीने में श्रद्धालुओं का तांता लगेगा।

मुंगेली-खर्राघाट स्थित महादेव मंदिर, खेमगिर मंदिर, महामाया-सांई मंदिर, पुराना बस स्टैंड स्थित शिव मंदिर सहित अन्य जगहों के शिव मंदिरों में सुबह से शाम तक भक्त पहुंचकर पूजा अर्चना करते रहे।

प्राचीनतम मंदिरों में से एक मल्हापारा स्थित शंकर मंदिर का विशेष स्थान हैं। तालाब के किनारे बने इस मंदिर पर आकर्षक शिवलिंग हैं। पास में ही पार्वती व गणेश विराजमान हैं। मान्यता हैं कि पुराने साधू सन्यासियों का अखाड़ा हुआ करता था। बाबा खेमगिर के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मुख्य मंदिर के बगल से ही खेमगिर बाबा की समाधी भी स्थित हैं। समीपस्थ ग्राम सेतगंगा में भी भगवान शिव की प्राचीनतम मूर्ति स्थापित हैं। मंदिर के पास ही कुण्ड हैं। जिसमें श्रद्धालुजन स्नानकर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

सेतगंगा

 पुरातात्विक, मनोरम, ऐतिहासिक एव प्राचीन श्री राम जानकी मन्दिर श्वेतगंगा ( मुंगेली) में भक्तों का तांता लगा रहा। समीपस्थ शिव मन्दिर में जलाभिषेक/ पूजा अर्चना का दौर दिन भर चलता रहा।

error: Content is protected !!