छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की सरकार बनने के दावे किए जा रहे थे, वो सारे दावे ताश के पत्तों की तरह बिखर गए. छत्तीसगढ़ की हार को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस टूटने के कगार में है।
पिछले 10 दिनों में देखा जाए तो पार्टी के भीतर भगदड़ की स्थिति बनी हुई है। चुनाव नतीजा के बाद अब तक 3 पूर्व विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, इसी तरह से लोक गायक व कांग्रेस नेता दिलीप षड़ंगी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वहीं 2 पूर्व विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जबकि एक पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
इस्तीफे की वजह हार बताई
आपको बता दें विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब तक पूर्व विधायक रामसुंदर दास महंत, चुन्नीलाल साहू इस्तीफा दे चुके हैं । वही मोहित केरकेट्टा के द्वारा इस्तीफा लेकर गए तो थे,लेकिन पार्टी ने लेने से मना कर दिया गया। तीनों ने अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को भेजा है। तीनों इस्तीफा की वजह हार को ही बताया है।
दो को पार्टी ने निकाला, एक को नोटिस
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की हार के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कुमारी सैलजा, टीएस सिंहदेव सहित शीर्ष नेतृत्व पर लगातार पार्टी के नेता सवाल खड़े कर रहे हैं। पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की वजह से कांग्रेस ने अपने दो पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह और विनय जायसवाल को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया है। वहीं जयसिंह अग्रवाल को भी नोटिस जारी किया गया है।
टिकट नहीं मिलने वाले पूर्व विधायक नाराज
कांग्रेस पार्टी की हार के बाद टिकट कटने वाले विधायक लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कुमारी सैलजा, टीएस सिंहदेव सहित शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कई पूर्व विधायक पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयानबाजी कर रहे, तो कई हार का ठीकरा अपने शीर्ष नेता पर फोड़ रहे। इसी तरह कुछ विधायक शिकायत की लम्बी पुलिंदा लेकर दिल्ली में बैठे हुए हैं। पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल भी हार की रिपोर्ट लेकर दिल्ली जाने की बात कहा है।
कुछ और पूर्व विधायक दे सकते हैं इस्तीफा
विश्वस्त सूत्रों की माने तो अभी कुछ और कांग्रेस के पूर्व विधायक पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं। ये विधायक आगामी कुछ दिनों में पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। इनमें तो कई बड़े विधानसभा के पूर्व विधायक का नाम शामिल है, कुछ विधायक लगातार रायपुर, दिल्ली की दौड़ भी लगा रहे हैं ।
आलाकमान भी है नाराज
सूत्रों की मानें तो छतीसगढ़ में आपसी गुटबाजी को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान नाराज है. उनको लगता है कि आपसी गुटबाजी में कांग्रेसी नेताओं ने एक-दूसरे को हरवाया है. कई विधायकों को भी खुद पर छोड़ दिया गया उनकी मदद नहीं की गई. इसके अलावा कांग्रेस नेतृत्व का मानना था कि नतीजे पर अधिकारित जिम्मेदारी तय करनी होगी ! कांग्रेस आलाकमान का यह भी मानना था कि प्रदेश में पार्टी की वास्तविक स्थिति को लेकर उन्हें सही फीडबैक नहीं दिया गया!
अपना-अपना चलाने में निपट गए : भगत
पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने तो यहां तक कह दिया कि सभी अपना-अपना चलाने में निपट गए। इतना ही पार्टी के अंदर सियासी बवाल तब मच गया जब पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने तो कहा टिकट के लिए उनसे घूस की डिमांड किया गया था! बृहस्पत सिंह ने भी निशाना साधते हुए कहा था, कुमारी सैलजा और टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस के हरा (TS Singhdev defeated Congress) दिया है। दोबारा सरकार बनने जा रही थी, लेकिन सर्वे के नाम पर 22 पूर्व विधायकों के टिकट काट दिए गए। यही कारण है कि कांग्रेस की हार हुई।