
हरिपथ–लोरमी– (विशेष खबर)मनियारी नदी पर निर्मित ब्रिटिशकालीन खुड़िया बांध खेतों में सिंचाई के लिए जीवनदायनी है,वरन बांध के ऊपरी क्षेत्र बूड़ान के लगभग 50 हेक्टेयर से अधिक प्राकृतिक आर्गेनिक उपजाऊ जमीन की उपलब्धता से लोगो को सेहतमंद बना रहे है।

खेती से किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, यहां के उपजाऊ जमीन में कद्दू, आलू सरसों, चना बेचकर किसान मालामाल हो रहे हैं। बुडान का प्रसिद्ध स्वादिष्ट (लाल)आलू, कद्दू (कुंभड़ा) महाराष्ट्र, एमपी, ओडीशा एवं छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में बड़ी डिमांड है।
ब्रिटिशकाली खुड़िया बांध– किसानों के लिए वरदान तो है ही ऊपरी क्षेत्र में बुधन जब बांध के ऊपरी क्षेत्र में जब पानी खाली हो जाता है तो लगभग 50 हेक्टेयर से अधिक जमीन उपजाऊ जमीन बिना रासायनिक खाद के उपजाऊ जमीन में सैकड़ो किसान खेत के रूप में उपयोग करते हैं।

मिली जानकारी के अनुसार इनमें किसान एक को लगभग ढाई हेक्टेयर का एक प्लाट मिला है जिसमें अलग-अलग किसान खेती कर रहे हैं, किसान इसमें न फल, फूल रहे हैं बल्कि आसपास के वनांचल के ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करते है। बांध के ऊपरी क्षेत्र में बैगा बाहुल्य क्षेत्र गांव के लोग बूड़ान में काम कर अपना रोजी मजदूरी काम कर रोजगरमुखी काम प्रप्त कर रहे है।
रोजगरमुखी-किसानों ने बताया कि प्रत्येक किसान एक सीजन में लगभग 10 पिकअप आलू, (30 क्विंटल),इस प्रकार कद्दू भी एक किसान लगभग 10 से अधिक पिकअप कद्दू (30 क्विंटल) के बेचकर जीवन यापन कर रहे है। कुल मिलाकर एक किसान 3 टन तो 50 किसान जोड़े तो 15-15 सौ टन आलू एवं कद्दू जैसे सब्जिया पैदावार से किसान फलफूल रहे है।

प्राकृतिक आर्गेनिक खेती-गौरतलब है,की बुडान क्षेत्र के यहां के जमीन में किसान बिना रासायनिक खाद के आलू, सरसों , चना ,कद्दू एवं अन्य सब्जी तरकारियां उगाकर है,मालामाल हो रहे है। इस प्राकृतिक ऑर्गेनिक खेती से मानव जीवन के लिए संजीवनी का काम कर रही है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। यहाँ के उपजाऊ सब्जी को लोग खाना पसंद करते है।
6 माह के किसानी में-बांध से पानी जैसे खाली होता है,वैसे ही किसान अक्टूबर से प्लॉट में साफ सफ़ाई एवं पहले नवंबर आलू को लगाना प्रारभ करते जिसकी फसल लास्ट जनवरी-फरवरी एवं मार्च पहले सप्ताह तक निकलता है। कद्दू को जनवरी में रोपित करते है, मार्च से अप्रैल पहला सप्ताह तक बाजारो की रौनकता बढ़ाती है।

डिमांड में कद्दू एवं (लाल)आलू-यहां के कद्दू को अभी बेमेतरा, कवर्धा, बिलासपुर, रायपुर के सब्जी मंडियों में जाकर बेचा जा रहा है। जहाँ से महाराष्ट्र, ओडिसा, मध्यप्रदेश के व्यपारी खरीदकर खुदरा में बेचकर अच्छी कमाई करते है।वर्तमान में कद्दू को मुंगेली,बिलासपुर,दुर्ग,कोरबा के अलावा छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में स्वादिष्ट कद्दू की मांग बनी हुई है।आलू इस वर्ष थोक मंडी में 15 से 16बिका है,वही कद्दू 4 से 5 रुपए किलो बिक रहा है।
मौसम ऐसा की शिमला-मनाली फेल-बांध के बुडान एरिया किसी हिल स्टेशन कम नही है,अभी भी रात में प्राकृतिक मौहाल में ठंडी हवाओं लोगो को लुभाती है। पर्यटन के रूप में उपयोग हो सकती है।
विधानसभा में बना आकर्षण का केंद्र- कुछ दिन पूर्व यहां के 40 किलो विशाल कद्दू को विधानसभा में क्षेत्र के किसानो ने सीएम विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव एवं विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को भेँट किया गया था। जो चर्चा का विषय रहा।

किसान बेदी राम साहू ने बताया कि एक किसान लगभग 10 पिकअप कद्दू एवं 10 पिकअप आलू बेच लेता है यहां के उपजे कद्दू का 40 से 50 किलो वजनी बड़ा आकार निकलता है, जो बाजार में जाने के बाद डिमांड में रहती है।

किसान कैलाश साहू ने बताया कि प्राकृतिक आर्गेनिक जमीन की उपलब्धता से यहाँ के बिना रायायनिक खाद के आलू,कद्दू,सरसों जैसे अन्य सब्जियां सालों से पैदावार कर रहे है,जो लोगो को सेहतमंद बना रही है।