एटीआर में तीन गाँव का विस्थापन: बिरारपानी, छिरहट्टा, तिलईडबरा के 133 परिवार.. परिवार में 6 सदस्य तो मिलेंगे एक करोड़…

हरिपथ–लोरमी-अचानकमार टाइगर रिजर्व में बचे हुए 19 गांव का विस्थापन करने की प्रक्रिया कई वर्षों से चल रही है, जिसमें से तीन गांव का विस्थापन करीब-करीब मुंगेली वन मंडल के सावंतपुर और भारतपुर में करने का काम शुरु कर दिया गया है। यहां विस्थापित गांव के एक परिवार के 6 सदस्यों को 15-15 लाख रुपए के हिसाब से एक करोड़ से अधिक राशि दी जा रही है। अगर कोई सदस्य राशि लेने से इनकार करता है, तो उस सदस्य को 3 एकड़ एक-एक को मिलेंगे 15-15 जमीन के साथ आवास भी बनाकर दिया जा रहा है।

एटीआर जंगल में बसे ग्रामीणों को दूसरे स्थान पर विस्थापित करने की प्रक्रिया करीब 12 वर्ष से चल रही है। पूर्व में 6 गांव में रहने वाले लोगों को लोरमी और मुंगेली क्षेत्र में विस्थापित करने के उपरांत चार साल से कोर जोन में बसे तीन गांव बिरारपानी, छिरहट्टा और तिलईडबरा के करीब 133 परिवारों के विस्थापन करने का कार्य हो रहा है। पूर्व राज्य सरकार ने ग्रामीणों को विस्थापित करने के लिए 500 करोड़ रुपए से अधिक राशि का बजट में प्रावधान में रखा गया है।


111 परिवार लेना चाहते हैं मकान-प्रबंधन के अनुसार मुंगेली के भरतपुर में बिरारपानी और छिरहट्टा के ग्रामीणों को और सावतपुर में तिलईडबरा के ग्रामीणों को विस्थापन करने का कार्य किया जाएगा। इसमें 133 परिवार है, जिसमें से 15 लोगों ने आप्शन वन के तहत 15 लाख रुपए की मांग की है। वहीं 111 परिवार मकान, खेत व अन्य सुविधाएं लेना चाहते हैं। इसमें प्रति परिवार के एक सदस्य को को 2.3 हेक्टेयर जमीन दी जाएगी। प्रस्ताव बनाया, लेकिन बाद में यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। एक बार फिर तीनों गांव बिरारपानी, छिरहट्टा और तिलईडबरा के ग्रामीणों के विस्थापित की योजना शुरु कर दी गई है, जिनके 171 परिवार के लिए सदस्य लाख मुंगेली के जोगीपुर और भरतपुर में 255.300 हेक्टेयर जगह चिन्हांकित की गई है। इन 171 परिवार में से प्रत्येक परिवार के एक-एक सदस्य को 15-15 लाख रुपए की राशि दी जानी है, ताकि वे एटीआर को खाली करने के बाद दूसरे स्थान पर चले जाएं। इन परिवार के अगर कोई सदस्य राशि लेना नहीं चाहते हैं तो उस सदस्य को 3 एकड़ जमीन के साथ आवास भी बनाकर देने का निर्णय लिया गया है। इन सभी परिवारों के लिए मुंगेली वन मंडल क्षेत्र में जगह चिन्हांकित करने के बाद पहले चरण में पेड़ों की कटाई का कार्य शुरु कर दिया गया है, जिसमें कटाई का कार्य वर्तमान में 30 फीसदी कम्पलीट हो चुका है।
16 गांवों का विस्थापन बाकी-पिछले कई सालों से तीन गांव बिरारपानी, छिरहट्टा और तिलईडबरा के विस्थापन की प्रक्रिया अब तक समाप्त नहीं हुई है। इन तीन गांव सहित कोर जोन में अचानकमार, बिंदावल, सारसडोल, छपरवा, लमनी, अतरियाखार, रंजकी, सुरही, अतरिया, बम्हनी, कटामी, जांकडबांधा, निवासखार, महामाई, डंगनिया और राजक एवं बफर जोन में जमुनाही, बोईरहा, पटपरहा, चकदा व सिवलखार आदि शामिल है।

6 गांव की प्रक्रिया खुड़िया एवं पुडु में- जानकारी के अनुसार 16 गांव के विस्थापन की प्रक्रिया अभी करनी बाकी है। इस प्रक्रिया के तहत वर्तमान में 6 गांव रंजकी, चिरहट्टा, विरारपानी, तिराईडबरा के परिवारों को खुड़िया में और अचानकमार, सारडोल के परिवारों का विस्थापन पुड़ में करने के लिए जमीन देखी जा रही है, ताकि इन 6 गांव का विस्थापन जल्द होने के बाद बाकी अन्य गांवों की भी प्रक्रिया शुरु की जा सके।

एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर गणेश यूआर. ने कहा कि-19 गांव में से तीन गांव तिलईडबरा, बिरारपानी, छिरहट्टा में रहने वाले 171 परिवार के लिए मुंगेली में जगह चिन्हांकित की गई है। इसके लिए स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की तरह केन्द्रीय बोर्ड भी होती है, जिससे प्पुवल मिलने के बाद तीनों गांव का विस्थापन कर दिया जाएगा। प्रत्येक घर के अलावा किसानी के लिए खेत व बच्चों के लिए गार्डन या फिर परिवार के सदस्य को 15-15 लाख रुपए दिया जाना है। इस कार्य के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है, जहां से बजट स्वीकृति मिलते ही विस्थापन कार्य शुरु कर दिया जाएगा।