आपरेशन रक्षासूत्र: बार्डर में सैनिक भाइयो के लिये बहनों ने भेजे राखियां…

हरिपथ,लोरमी-22 जुलाई छत्तीसगढ़ में भाई बहन के अटूट प्रेम और सौहार्द का त्यौहार रक्षाबंधन विश्वभर में प्रसिद्ध है। पूर्व सैनिकों के लिए क्षेत्र के स्कूलों से बहनों, छोटी बच्चियों ने अपने सैनिक भाइयों के लिए अभी से रक्षासूत्र भेजने का अभियान चलाया है।
इसी तारतम्य में मिडिल स्कूल सेमरसल प्रांगण में बच्चियों ने पूर्व सैनिकों के संगठन सिपाही रामनिवास राठौर एवं उसके फौजियों साथियों ने गांव की बहनों के राखी एकत्रित कर बॉर्डर में तैनात सिपाहियों के लिये राखी भेजने में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है।

पूर्व सैनिक रामनिवास सिंह ने बच्चों को भविष्य का सैनिक बताते हुए बड़ी संख्या में सेना में भर्ती होने के लिए अपील की है। अभी से तैयारी करते रहने का आह्वान किया। पढ़ाई लिखाई, दौड़ भाग, प्रैक्टिस लगातार करते रहने प्रतिदिन सबेरे उठने का नियम बनाने कहा। इतनी बड़ी संख्या में राखी सौंपने के लिए हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त किया और बताया कि एक सैनिक कभी रिटायर नहीं होता। आपरेशन सिंदूर के समय कर्तव्य निर्वहन हेतु देशवासियों के साथ सेना के जुड़ाव का जिक्र भी उन्होंने किया।
जनपद अध्यक्ष वर्षा विक्रम सिंह ने माताओं बच्चों से अपील किया कि एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम को जन आंदोलन बना दिया है। हर एक स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों, खेत खलिहान की माताओं बहनों का उत्साह और अपनेपन इस कार्यक्रम से जुड़ गया है।
इस अवसर पर प्रधानपाठक आत्माराम ने सभी सैनिकों के उत्साह को नमन किया और आपरेशन रक्षा सूत्र के लिए सैनिकों को शुभकामनाएं दी। वर्तमान समय में सैनिक के रूप में 20 वर्षों से देश की सेवा में लगे हुए तथा अभी अमरनाथ में कर्तव्यस्थ वीर सैनिक पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी की धर्मपत्नी अर्चना पांडे ने भी राखियां संग्रहित की है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अपील पर आंगनबाड़ी केंद्र व महतारी वंदन की हितग्राहियों से भी एकत्रित करके उन्होंने सेवारत सैनिकों के लिए राखियां भेजी।

बाल कैबिनेट में प्रधानमंत्री परमेश्वरी साहू ने अतिथि के रूप में पधारें फौजी अशोक सिंह और रामनिवास को राखी बांधा उस बच्ची को आशीर्वाद स्वरूप वीर जवान ने अपनी टोपी धारण कराते हुए भविष्य में सैन्य अधिकारी बनने की प्रेरणा दी। स्कूल में तैयारियों के संबंध में बताते हुए शिक्षक राजकुमार कश्यप ने बच्चों के सेना के प्रति जुड़ाव को रेखांकित करते हुए बताया कि गांव गरीब घरों में भी देश के लिए यह अनुपम निष्ठा स्वागत योग्य है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए शिक्षक उमाशंकर सिंह राजपूत ने संदेश दिया कि वीर जवानों के कलाई को सुनी रखने के बजाय गांव गांव, गली गली से हजारों बहनें अपने त्याग और तपस्या के अभिसिंचन से निर्मित स्वयं तैयार किए हुए राखियां भेजेंगी।
बालमन में अभी से भारत माता के प्रति प्रेम,जीने की लालसा, काबिल बन देश की सेवा साथ राष्ट्र के लिए मर मिटने की भावना ऐसे कार्यक्रमों से प्रगाढ़ होती है। जैसा वातावरण बनेगा वैसा संस्कार बनेगा और आचरण भी उसी दिशा में आगे बढ़ेगी।
इस अवसर पर स्मिता क्षत्रि, पुष्पा चतुर्वेदी, ललिता शर्मा, इंदु साहू सहित नंदनी निषाद, सारिका पटेल, मुस्कान, राजनंदनी, दामिनी, मेघा, लकेश्वरी, चंचल, कीर्ति, सुहाना, हरेश्वरी, ज्योति, रानू, पूनम, चांदनी, श्वेता, दिव्या निषाद, राधिका, योगेश्वरी, लीलम, माही, मान्या सहित बड़ी संख्या में गांव की माता बहनें, शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही।